जयपुर 4 मार्च 2025। बाघ संरक्षण क्षेत्र में कार्यरत रणथंभौर की विश्व प्रसिद्ध संस्थाटाइगर वॉच की ओर से वन्यजीव संरक्षण के लिए प्रतिवर्ष दिए जाने वाले प्रतिष्ठित श्री फतेहसिंह राठौड़ स्मृति वन्यजीव संरक्षण पुरस्कारों के तहत पर्यावरणीय विषयों पर लेखन और वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी के माध्यम से पर्यावरण व वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में जनजागरूकता पैदा करने के लिए पुलिस मुख्यालय में कार्यरत सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के अतिरिक्त निदेशक, वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर व लेखक डॉ. कमलेश शर्मा को पीपल एंड नेचर" सर्विसेज टू वाइल्डलाइफ अवार्ड से सम्मानित किया गया है।
बांसवाड़ा जिले के बड़ोदिया कस्बे के मूल निवासी डॉ. कमलेश शर्मा को यह अवार्ड सवाई माधोपुर के फतेह पब्लिक स्कूल में आयोजित 13वें श्री फतेहसिंह राठौड़ स्मृति व्याख्यान एवं संरक्षण पुरस्कार-2025 समारोह में उनके पर्यावरण व वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में दीर्घकालिक समर्पण व स्वस्फूर्त प्रयासों के लिए दिया गया। अतिथियों ने पुरस्कार के तहत डॉ. शर्मा को प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिह्न और 21 हजार रुपयों का चैक प्रदान किया गया।
कार्यक्रम के दौरान टाइगर वॉच के ख्यातिप्राप्त जीव विज्ञानी डॉ. धर्मेंद्र खांडल ने सम्मानित होने वाले प्रमुख व्यक्तित्वों के बारे में जानकारी दी और इनके द्वारा पर्यावरण व वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में किए गए प्रयासों के बारे में बताया। कार्यक्रम में राजस्थान के हैड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स (हॉफ) अरिजीत बनर्जी, महाराष्ट्र के रिटायर्ड पीसीसीएफ और पर्यावरणीय विषयों के जानकार सुनील लिमये, सरिस्का के फिल्ड डायरेक्टर अनूप के राघवन आदि बतौर अतिथि मौजूद थे। इस अवसर पर ख्यातनाम वन्यजीव व पक्षी विशेषज्ञ हर्षवर्धन,पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ. सतीश शर्मा, वरिष्ठ मीडियाकर्मी अरविंद चोटिया सहित देशभर के पर्यावरणप्रेमी मौजूद रहे।
इन कार्यों के लिए हुआ डाॅ. शर्मा का चयन
डॉ. खांडल ने बताया कि वर्तमान में पुलिस मुख्यालय,जयपुर में कार्यरत डॉ. शर्मा का चयन द्वारा पिछले 25 वर्षों से जनसंपर्क पत्रकारिता के माध्यम से पर्यावरण, वन्यजीव और पक्षियों के संरक्षण की दिशा में कार्य किया जा रहा है। देशभर की प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में आपके आलेखों का प्रकाशन हुआ है। बोम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी की मैगजीन में दुर्लभ व खतरे के निकट पक्षियों, वन्यजीवों, तितलियों, वृक्षों की खोज और वन्यजीव व पक्षियों के संरक्षण से संबंधित विषयों पर आलेख व शोध रिपोर्ट्स के प्रकाशन के साथ ही डूंगरपुर, बांसवाड़ा, उदयपुर व जयपुर जिले में आयोजित हुए बर्ड फेस्टिवल की शुरूआत में उनकी सक्रिय भूमिका रही।
इसके अलावा कुंभलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य में बाघों के पुनर्वास के प्रति ग्रामीण जनमानस में पसरी भ्रांतियों को दूर कर जनजागरूकता पैदा करने में सक्रिय भूमिका निभाने, डूंगरपुर में खतरे के निकट घोषित ब्लेक हेडेड आईबीस के सैकड़ों घौंसलों वाले पेड़ काटे जाने पर दो सौ से अधिक पक्षियों व चिक्स को जीवनदान देने, तथा श्यामपुरा में एक साथ 38 प्रजातियों की पक्षियों की अवस्थिति को उद्घाटित कर इसे वन प्रकृति शिक्षा केन्द्र बनाने की मुहिम चलाने के लिए डॉ. शर्मा का चयन किया गया।
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