उदयपुर। यूं तो आप ने देश के सैनिकों द्वारा अपनी जान को जोखिम में डाल कर लोगों की जान बचाने के कई किस्से आपने जरूर सुने होंगे, फिर चाहे वह रोजमर्रा की जिंदगी हो या फिर देश के सरहदों पर विपरीत स्थिति में डटे रह कर दुश्मनो से हमारी रक्षा करना।
ऐसी ही एक चौंका देने वाला मामला भारत के उत्तरी भाग में स्थित केंद्र शासित प्रदेश (Union Territory) Ladakh से सामने आया, जहां भारतीय सेना के एक होनहार अफसर मेजर कमलेन्द्र सिंह राव और उनकी टीम ने 150 मोटरसाइक्लिस्ट सहित करीब 300 गाड़ियों मे सवार 1000 से अधिक लोगों की जान बचाई।
घटना 30 मई 2024 की बताई जा रही है ,जहाँ लद्दाख क्षेत्र में स्थित एक पहाड़ी दर्रा (Pass) चांग ला जिसकी ऊंचाई 5,360 मीटर (17,590 फ़ुट) की है और जो काराकोरम की लद्दाख़ पर्वतमाला नामक उपश्रेणी में लेह से पांगोंग त्सो (झील) के मार्ग पर स्थित है। जहाँ अचानक से हेवी स्नो फॉल होने से वहां पर आए हुए पर्यटक मौसम की बद्लाव के चलते फंस गए, और उनमे से देश के अलग अलग हिस्सों से आए हुए करीब 150 मोटरसाइक्लिस्ट और 300 गाड़ियों मे सवार 1000 से अधिक लोग जिंदगी और मौत के बीच में फंस गए। जिसकी जान देश के जांबाज सैनिकों ने बचाई, जिसको लीड किया मेजर कमलेन्द्र सिंह ने।
मेजर राव के मित्र ने उदयपुर टाइम्स से हुई बातचीत में बताया की घटना 30 मई को चांग ला पास पर हुई जब सुबह करीब 11 बजे अचानक से मौसम बदला और हेवी स्नोफॉल होने लगी, उन्होंने बताया की चांग ला पास जिसकी ऊंचाई 17,590 फ़ुट है यह एक 75 किलोमीटर का स्ट्रेच है जिसके टॉप पर चांग ला आता है और वो इसके ऑफिसर कमांडिंग (OC) है, जिस पर कई ऐवेलांच पॉइंट्स हैं, और जब भी हेवी रेन फॉल होती है तो स्नो रॉक सॉलिड हो जाती है जिसके बाद सड़क पर गाड़ियों का चलना मुश्किल हो जाता हैं, फोर व्हीलर्स को टायर्स पर चैन बांध कर गुजारा जाता है तो वहीँ मोटरसाइक्लिस्ट के लिए तो स्थिति और भी भयावह हो जाती है।
ऐसा ही कुछ नजारा 30 मई को भी सामने आया था जहां सड़क पर गाड़ियों की लम्बी कतार लग गई थी और मौसम में हुए बदलाव से लोगों में अफरा तफरी का माहौल हो गया था , जिसकी जानकारी मिलने पर वह और उनकी टीम ने तुरंत रेस्पॉन्ड किया। वह मौके पर पहुंचे, मौके पर पहुँचने पर देखा की बहुत सारी गाड़ियां जाम में फांसी है और कोई भी गाड़ी बिना चैन के आगे नहीं बढ़ पा रही, इनमे 150 से करीब मोटरसाइक्लिस्ट भी शामिल थे जिनकी उम्र 25 से 40 के बीच थी, सभी देश के अलग अलग हिस्सों से वहां पहुंचे थे। लोगों को मुसीबत में देखकर सिंह और उनकी टीम ने तुरंत रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया और करीब 6 घंटों की कड़ी मशक़्क़त के बाद सभी मोटरसाइक्लिस्ट और अन्य फंसे हुए लोग जिनमे छोटे बच्चे, बुजुर्ग शामिल थे उन्हें सुरक्षित वहां से रेस्क्यू किया गया, जिनमें से कुछ को ट्रकों में टैक्सियों में, और कुछ को सेना की गाड़ियों में लेह में सुरक्षित जगह पर पहुँचाया गया।
आपको बता दे की मेजर कमलेन्द्र सिंह राव उदयपुर के रहने वाले हैं। उनका परिवार शहर के पंचवटी इलाके में रहता हैं और उनके पिता राजेंद्र सिंह राव उदयपुर में राव कोचिंग सेंटर के नाम से मैथ्स कोचिंग करवाते हैं। उन्होंने अपनी स्कूलिंग सेंट पॉल्स स्कूल उदयपुर से पूरी की, जिसके बाद उन्होंने बी टेक इन कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई सिंघानिया यूनिवर्सिटी से पूरी की। सेना में वह 2013 में Commissioned हुए और पिछले डेढ़ साल से लद्दाख में पोस्टेड हैं।
मेजर कमलेन्द्र सिंह राव के मित्र ने बताया कि की वह हमेशा से ही सेना में आना चाहते थे और देश के लिए कुछ करने का जज्बा रखते थे। उन्होंने कहा की वह उदयपुर के शहीद लेफ्टिनेंट अर्चित वर्डिया के हमेशा से ही संपर्क में रहे, सीनियर होने की वजह से अर्चित पहले Commissioned हुए फिर 2013 में उन्हें मौका मिला।
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