उदयपुर की निशा अमेरिका में कर रही है हिंदी की सेवा


उदयपुर की निशा अमेरिका में कर रही है हिंदी की सेवा

राष्ट्रीय हिन्दी दिवस (14 सितंबर) पर विशेष

 
Nisha pandya
हिंदी शिक्षण के साथ गीत-संगीत और नृत्य से हो रही सेवा

उदयपुर 13 सितंबर 2021। अपनी भाषा और संस्कृति के प्रति समर्पित लोग चाहे कहीं भी रहे अपने देश, संस्कृति, संस्कार और भाषा का मान सदैव बढ़ाते ही है। उदयपुर की एक ऐसी ही शख्सियत है जानी मानी लेखिका कलाकार डॉ. निशा पण्ड्या पिछले दस वर्षों सेे अमेरिका में हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार में लगी हुई है। 

हिंदी शिक्षण के साथ गीत-संगीत और नृत्य से हो रही सेवा

डॉ. निशा अमेरिका में पिछले कई वर्षों से हिंदी भाषा का गौरव बढ़ाने का प्रयास कर रही है। अमेरिका में “हिंदी सेवा सम्मान“ से सम्मानित डॉक्टर निशा कई अमेरिकन बच्चों  को हिंदी भाषा सिखाती है। हिंदी सिखाने के साथ-साथ निशा बच्चों व युवाओं को आर्ट, क्राफ्ट और नृत्य के साथ हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत भी सिखाती है। स्वयं निशा सांस्कृतिक कार्यक्रमों में अपने लोक नृत्य की प्रस्तुति से लोगों को अभिभूत कर देती है। हिन्दी भाषा प्रेमी निशा अमेरिका के हिंदू टेम्पल में आयोजित कार्यक्रमों की मुख्य संचालिका होने के साथ हिंदी जगत संस्था में भी कई हिंदी प्रतियोगिताएँ आयोजित कर बच्चों को पुरस्कृत भी करती है। महिला काव्य मंच विस्कोसिन की अध्यक्ष निशा अब तक हिंदी संबंधित कई कार्यक्रम आयोजित करवा चुकी है वहीं अभी भी हिंदी क्लब ऑफ इलिनोय की सक्रिय सदस्य होने के साथ ही सभी कार्यक्रमों का संचालन तथा ऑनलाइन हिंदी अध्यापन भी करवाती है।  

पूरा परिवार हिंदी सेवा में

डॉ. निशा अपने पति लोचन, पुत्र राघव एवं पुत्री विदुषी के साथ भारतीय, हिन्दी संगीत प्रेमी लोगों की संस्थाओं में जाकर संस्कृत के मंत्रों का भी सही उच्चारण इत्यादि सिखाती है। इनके विद्यार्थी भी अब हिंदी बोलने में पारंगत हो चुके हैं, वे इनका बहुत सम्मान करते हैं और हिंदी भाषा में उनके द्वारा सिखाई कविताएं, गीत, संगीत की भी प्रस्तुति करते हैं।

अंग्रेज बच्चों को हिंदी बोलते देख मिलता है सुकून

शिकागो के अखबारों में तथा अमेरिका की मैगजीन के कवर पेज पर परिवार के साथ फोटो के साथ उदयपुर और मेवाड़ का गौरव बढ़ा चुकी निशा ने बताया कि अमेरिकन बच्चों को हिंदी भाषा सिखाने में एक अलग ही चुनौती का सामना करना पड़ता है। अंग्रेजी स्क्रिप्ट में हिंदी पढ़ाने में थोड़ी मेहनत तो है परंतु अंग्रेजों को हिंदी बोलते देखकर दिल को सुकून मिलता है।  

7 वर्ष से प्रारंभ हुई हिंदी साहित्य और कला की यात्रा

निशा ने 7 वर्ष की उम्र में आकाशवाणी के कार्यक्रम “बगिया के फूल“ से अपनी रेडियो यात्रा को प्रारम्भ कर 12 वर्ष की उम्र में बाल नाटक कलाकार के रूप में काम प्रारंभ किया।  इसके बाद तो कई नाटक, युववाणी कार्यक्रम में सुगम संगीत,लोकसंगीत,काव्यपाठ, के साथ वाणी सर्टिफिकेशन का कार्य किया। वे जयपुर तथा चण्डीगढ़ में केजुअल अनाउन्सर पर कार्यरत रही। अपनी सुस्पष्ट हिंदी भाषा के कारण निशा चंडीगढ़ के साहित्यिक मंचों तथा दूरदर्शन चण्डीगढ़ में अन्य कार्यक्रमों के साथ कई वर्षों तक “एक मुलाकात“ कार्यक्रम की उद्घोषिका रही। मेवाड़-वागड़ में कई कवि सम्मेलनों में कविता पाठ के साथ पश्चिमी सांस्कृतिक केंद्र, बेणेश्वर मेले में मंच संचालन भी बखूबी किया है। उन्होंने डूंगरपुर के नवोदय विद्यालय में संगीत व हिंदी का अध्यापन करवाया वहीं चंडीगढ़ में भी एक विद्यालय में हिंदी अध्यापन के साथ कई विश्वविद्यालयों और अन्य संस्थाओं में मंच संचालन व कविता पाठ किया है।  

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