उदयपुर 15 अप्रैल 2021। देश में नफरत के सौदागर और एक 'ख़ास' मानसिकता से ग्रसित नफरती चैनल चाहे लाख नफरत फैलाये लेकिन जो मोहब्बत के सौदागर है वह अपना धर्म नहीं भूलते। दुनिया का एक ही धर्म है और वह है इंसानियत और मानवता का धर्म। कल उदयपुर में इसकी मिसाल देखने को मिली जहाँ एक मुस्लिम रोज़दार ने अपना रोज़ा तोड़कर हिन्दू बहनो को अपना प्लाज़्मा दान किया।
कल 14 अप्रैल को रमजान का पवित्र माह शुरू हो गया था, जहाँ मुस्लिम समाज के लोगो ने अपना पहला रोज़ा रखा। उदयसागर चौराहा निवासी 32 वर्षीय अकील मंसूरी ने भी अपना पहला रोज़ा रखा था। अकील ने अनूठा उदाहरण पेश कर बता दिया कि किसी की सेवा करना भी अल्लाह की सबसे बड़ी इबादत है। अकील ने कोरोना पीड़ित दो महिलाओं का जीवन बचाने के लिए न केवल अपना रोजा तोड़ना स्वीकार किया, बल्कि तीसरी बार प्लाज्मा भी डाेनेट किया।
दरअसल, शहर के पेसिफिक हॉस्पिटल में चार दिन से भर्ती छोटी सादड़ी निवासी 36 वर्षीया निर्मला और दो दिन से भर्ती ऋषभदेव निवासी 30 वर्षीया अलका की तबीयत ज्यादा खराब हो गई। दोनों महिलाओं को ऑक्सीजन पर रखा हुआ था। दोनों का ब्लड ग्रुप ए-पॉजिटिव था। दोनों को प्लाज्मा की जरूरत पड़ी।
डॉक्टरों ने तुरंत व्यवस्था करने को कहा, लेकिन कहीं से बंदोबस्त नहीं हो पा रहा था। इस बीच रक्त युवा वाहिनी के कार्यकर्ताओं तक सूचना पहुंची। रक्त युवा वाहिनी के अर्पित कोठारी ने अकील मंसूरी से सम्पर्क किया। क्योंकि वे 17 बार रक्तदान कर चुके थे और पता था कि उनका ब्लड ग्रुप भी ए पॉजिटिव है।
चूँकि दोनों महिलाओं को कोई ए पॉजिटिव ब्लड ग्रुप वाला व्यक्ति ही प्लाज्मा दे सकता था। अतः रक्त युवा वाहिनी के अर्पित कोठारी ने अकील से प्लाज्मा देने के लिए निवेदन किया। अकील ने रोजा रखा हुआ था। वे प्लाज्मा डोनेट करने पहुंच गए, लेकिन डॉक्टरों ने कहा कि खाली पेट प्लाज्मा नहीं ले सकते। अकील ने पहला रोजा तोड़ना तय किया और अल्लाह का शुक्रिया करते हुए कहा कि उनका जीवन किसी का जीवन बचाने के काम आ रहा है, इससे बड़ा क्या धर्म होगा। उन्होंने इसके बाद नाश्ता किया, फिर डॉक्टरों ने उनका एंटी बॉडी टेस्ट किया और प्लाज्मा लिया। ये प्लाज़्मा दाेनाें महिलाओं काे चढ़ाया गया। अकील ने तीसरी बार प्लाज्मा डोनेट किया।
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