Pride of Lakecity: उम्र 53 साल विश्व रिकॉर्ड 56
आज उदयपुर टाइम्स.कॉम आपको उदयपुर के खैरादीवाडा के एक साधारण से मकान के नीचे खुद की छोटी सी 10x10 साइज की पुरानी सी दुकान में बैठे एक साधारण से सीधे सादे दिखने वाले एक असाधारण व्यक्ति से परिचय करवाने जा रहा है। वैसे तो 56 विश्व रिकॉर्ड अपने नाम कर चुके इक़बाल सक्का किसी परिचय के मोहताज नहीं। इक़बाल सक्का अंतर्राष्ट्रीय स्वर्ण शिल्पकार के रूप में मशहूर है लेकिन स्वर्ण शिल्पकार होने के साथ साथ इक़बाल सक्का लेखक, गीतकार भी है।
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आज उदयपुर टाइम्स.कॉम आपको उदयपुर के खैरादीवाडा के एक साधारण से मकान के नीचे खुद की छोटी सी 10×10 साइज की पुरानी सी दुकान में बैठे एक साधारण से सीधे सादे दिखने वाले एक असाधारण व्यक्ति से परिचय करवाने जा रहा है। वैसे तो 56 विश्व रिकॉर्ड अपने नाम कर चुके इक़बाल सक्का किसी परिचय के मोहताज नहीं। इक़बाल सक्का अंतर्राष्ट्रीय स्वर्ण शिल्पकार के रूप में मशहूर है लेकिन स्वर्ण शिल्पकार होने के साथ साथ इक़बाल सक्का लेखक, गीतकार भी है।
उदयपुर शहर में 2 जनवरी 1965 में जन्मे इक़बाल सक्का 10-12 वर्ष की आयु से ही स्वर्ण शिल्पकारी का हुनर सीख लिया। इक़बाल सक्का के वालिद ख्वाहद सक्का के इन्तेकाल के बाद परिवार की ज़िम्मेदारी उनके कंधे पर आ गया। इक़बाल खुद तो अपनी तालीम पूरी नहीं कर पाए लेकिन उन्होंने अपने छोटे भाई बहनो को तालीम दिलवाई। बकौल इक़बाल वह खुद ज़्यादा पढ़े लिखे नहीं है लेकिन अल्लाह ने उनके हाथ में ऐसा हुनर दे दिया जिसकी वजह से वह न सिर्फ अपना बल्कि अपने शहर, राज्य और देश का नाम ऊँचा कर रहे है।
इक़बाल सक्का ने 56 विश्व रिकॉर्ड अपने नाम किये है। बावजूद इसके उन्हें कोई सरकारी सहायता या मदद नहीं मिल रही है। शायद यही वजह है की उनकी आने वाली पीढ़ी उनके इस हुनर को अपनाने को तैयार नहीं। इक़बाल की दुकान में इतनी जगह भी नहीं अपने रिकार्ड्स के सर्टिफिकेट्स सजा के रख सके। इक़बाल कहते है उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री को अपनी कलाकृतियो का म्यूजियम बनाने की गुज़ारिश की है जिस पर प्रधानमंत्री कार्यालय से जवाब मिला की आप ज़मीन का इन्तेज़ाम कर दे हालाँकि इक़बाल के अनुसार उनके पास ज़मीन होती तो वह सहायता ही क्यों मांगते ?
1991 में सबसे पहले सबसे कम व सबसे लम्बी स्वर्ण चैन बनाकर अपनी छाप छोड़ने वाले इक़बाल ने एक बार जब अपना सफर शुरू किया तो एक के बाद एक रिकार्ड्स अपने नाम करते गए। विश्व की सबसे कम वज़न की स्वर्ण चैन, विश्व की 0.2 mm की सूक्ष्मतम स्वर्ण निर्मित 71 पतंगे, चाय की सबसे छोटी केतली, विश्व की सबसे छोटी स्वर्ण निर्मित स्टाम्प, स्वर्ण निर्मित सूक्ष्मतम हवाई जहाज़, पानी का घड़ा, डोंगा, गिलास, क्रिकेट किट, चांदी से निर्मित क्रिकेट के मैदान में दो बल्लेबाज़, बॉलर, विकेटकीपर, 9 फील्डर 13 खिलाडी और दो अंपायर समेत बल्ला, बॉल, विकेट भी शामिल है।
विश्व का सबसे छोटा सोने का हुक्का, सोने की बैडमिंटन कोक और रैकेट, कैरम बोर्ड, चैस बोर्ड, सोने की सूक्ष्म पुस्तक, सोने का सूक्ष्मतम जूता एवं सबसे छोटी और पहली सोने एवं चांदी की पुस्तक जिसमे अरबी भाषा में अल्लाह, संस्कृत भाषा में ॐ, ईसाई धर्म का क्रॉस व सिख धर्म का झंडा उत्कीर्ण किया गया है, 64 पन्नो की इस पुस्तक में विश्व को शांति का पैगाम है। इस पुस्तक को सूक्ष्मदर्शी लेंस से ही देखा जा सकता है, भी शामिल है हाल ही में वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज होने वाला विश्व का सबसे छोटा स्वर्ण निर्मित तिरंगा झंडा जैसे कई रिकॉर्डस बनाकर रिकॉर्डस की झड़ी लगा दी। अभी भी उसका सफर जारी है।
जब इक़बाल सक्का से पूछा गया की उनकी बनाई कौनसी कलाकृति को वह सर्वाधिक पसंद करते है तो उन्होंने बताया की जैसे एक माँ के लिए सभी औलाद समान होते है वैसे ही उनकी सभी कलाकृति उनको प्यारी है। फिर भी विश्व का सबसे छोटा स्वर्ण निर्मित तिरंगा झंडा उनको सबसे ख़ास रिकॉर्ड है।
इक़बाल कहते है भारत ने वाघा बॉर्डर पर जब सबसे बड़ा तिरंगा झंडा लहराया तो पाकिस्तान ने भी उसके जवाब में उनसे बड़ा झंडा फेहरा दिया। लेकिन वह पाकिस्तान को चैलेंज करते हुए कहते है पाकिस्तान उनका रिकॉर्ड तोड़ के दिखाए। इक़बाल कहते है भारत पहले सोने की चिड़िया कहलाता था हालाँकि आज ज़माना बदल गया फिर भी अगर दुनिया कहे की सोने की सबसे सूक्ष्मतम कलाकृतिया अगर कहीं ही तो वह भारत के राजस्थान के उदयपुर में है तब तक वह अपना सफर जारी रखना चाहते है।
सन 2009 में इक़बाल सक्का को महाराणा मेवाड़ फाउंडेशन द्वारा श्रीजी अरविन्द सिंह मेवाड़ द्वारा राष्ट्रीय स्तर का महाराणा सज्जन सिंह अवार्ड से नवाज़ा जा चूका है। रेड एन्ड वाइट वीरता पुरस्कार, भारत सरकार के संस्कृत मंत्रालय द्वारा पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र की ओर से शिल्प सम्मान स्वर्ण पदक द्वारा भी सम्मानित किया जा चूका है। जिला स्तर पर तीन बार 1968, 1993 और 2004 में गणतंत्र दिवस पर विशेष उपलब्धियां अर्जित करने पर भी सम्मानित किये जा चुके है। इसके अतिरिक्त उन्हें अमन अवार्ड, मेवाड़ हीरा सम्मान, राजस्थान का रत्न उपाधि, ग़ज़ल सम्राट उपाधि, जनसेवा रत्न उपाधि, उत्कृष्ट कला कौशल सम्मान, कला शिल्प शिरोमिनी सम्मान जैसे कई सम्मान से अपने आप को सुशोभित कर चुके है।
मात्र दसवीं तक शिक्षा प्राप्त इक़बाल सक्का न सिर्फ स्वर्ण शिल्पकारी बल्कि ग़ज़ल, लेखन और गीतकारी में अपने हाथ आज़मा चुके है। 2014 में उनकी उर्दू में लिखी हुई अनवारे ग़ज़ल भी इंडिया बुक ऑफ़ रिकॉर्डस में सबसे लम्बी ग़ज़ल के रूप में दर्ज है। इक़बाल सक्का ने विश्व की सबसे लम्बी हस्तलिखित उपन्यास 456 फिट लम्बी ‘अनोखा दहेज़’ भी उनके रिकॉर्डस में शुमार है।
राष्ट्रीय गान जन-गण-मन के 100 वर्ष पुरे होने पर पूरी दुनिया के देशो को मात्र 1 इंच चांदी में साकार करते हुए नक्शा बनाकर चांदी द्वारा ही उस नक़्शे पर जन-गण-मन लिखकर विश्व शांति का संदेश देने वाले इक़बाल सक्का ने अमेरिका में निर्मित विश्व रिकॉर्ड तोड़ते हुए विश्व की सबसे छोटी स्वर्ण निर्मित रबर स्टाम्प जिस पर FREE INDIA लिख कर नया कीर्तिमान बना डाला।
इक़बाल सक्का ने राजस्थानी फिल्मो लक्ष्मी आई आंगने, जियो म्हारा लाल, छम्मक छल्लो, भोमली, उदैपुर रो छोरो जैपुर री छोरी, बेबस, अलख जैसी राजस्थानी फिल्मो और टीवी सीरियल में अभिनय का जौहर भी दिखाया है। हिंदी फिल्म पेट्रोल और खंजर के लिए गीत लिखने वाले इक़बाल सक्का की चार किताबे ग़ज़लों का गुलदस्ता, करिश्मा ए ताबीज़, राजस्थानी डिस्को और सक्काई नामा भी प्रकाशित हो चुकी है।
उदयपुर टाइम्स.कॉम इक़बाल सक्का की कला, हुनर, कारीगरी और देश के प्रति उनके जज़्बे को सलाम करता है और आशा करता है की इक़बाल सक्का अपने हुनर के बल पर अपने देश भारत, अपने राज्य राजस्थान और अपने खूबसूरत शहर उदयपुर का नाम और ऊँचा करे।
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