उदयपुर 15 जनवरी 2025। शहर का नाम एक बार फिर ऊँचाइयों पर पहुंचा दिया है 18 वर्षीय राजवर्धन सिंह राणावत ने। राजवर्धन ने 29 दिसंबर 2024 को 5364 मीटर ऊंचाई पर स्थित एवरेस्ट बेस कैंप की सफल चढ़ाई पूरी कर उदयपुर का गौरव बढ़ाया। उन्होंने 20 दिसंबर 2024 को नेपाल के लुक्ला से ट्रेकिंग शुरू की और 1 जनवरी 2025 को इसे सफलतापूर्वक पूरा किया। इस चुनौतीपूर्ण ट्रेक में वे 16 सदस्यीय दल का हिस्सा थे।
बर्फीली हवाओं और -35°C की कड़कड़ाती ठंड में 47% ऑक्सीजन की कठिन परिस्थिति में राजवर्धन ने अदम्य साहस और दृढ़ निश्चय का परिचय दिया। हर दिन औसतन 10 घंटे की कठिन चढ़ाई में उन्होंने 160 किलोमीटर का ट्रेक तय किया। सबसे कम उम्र के सदस्य होने के बावजूद उन्होंने नेतृत्व क्षमता का प्रदर्शन करते हुए अपने दल के अन्य सदस्यों को प्रेरित किया और हर चुनौती का डटकर सामना किया।
पहले से ही रोमांच और साहस में माहिर
राजवर्धन सिंह राणावत पहले भी कई प्रसिद्ध ट्रेक्स को सफलतापूर्वक पूरा कर चुके हैं। उन्होंने उत्तराखंड के स्वर्ग-रोहिणी ट्रेक, दयारा बुग्याल ट्रेक, तुंगनाथ-चंद्रशीला ट्रेक, कुआरी-पास ट्रेक, पंगरचुला ट्रेक, हिमाचल के त्रिउंड ट्रेक, पराशर ऋषि ट्रेक, कश्मीर के तुलियन लेक ट्रेक सहित भारत के 15 से अधिक ट्रेक्स किए हैं। इसके साथ ही वे एक राष्ट्रीय पदक विजेता साइक्लिस्ट भी हैं। तथा उदयपुर में विगत 2 वर्षों में 1 हजार से अधिक नवयुवकों को हाइकिंग, ट्रेकिंग का अनुभव करा चुके है ।
हाइकिंग, ट्रेकिंग और माउंटेनियरिंग में अंतर
राजवर्धन का मानना है कि हाइकिंग, ट्रेकिंग, और माउंटेनियरिंग तीनों में अलग-अलग स्तर की चुनौतियाँ होती हैं।
हाइकिंग: हल्की-फुल्की पैदल यात्रा, जो कम ऊंचाई और कम दूरी में होती है।
ट्रेकिंग: लंबी दूरी और ऊंचाई पर कठिन रास्तों से होकर गुजरना।
माउंटेनियरिंग: पर्वतारोहण, जिसमें तकनीकी उपकरणों का उपयोग कर ऊंची चोटियों पर चढ़ाई की जाती है।
माउंटेनियरिंग की शुरुआत कैसे करें?
राजवर्धन नवयुवकों को सलाह देते हैं कि माउंटेनियरिंग में कदम रखने के लिए पहले हाइकिंग और ट्रेकिंग से शुरुआत करें। उदयपुर की भौगोलिक स्थिति ट्रेकिंग और हाइकिंग सीखने के लिए अनुकूल है। यहां के पहाड़ी इलाके, जंगल, और झीलें युवाओं को प्राकृतिक रूप से साहसिक खेलों की ओर आकर्षित करती हैं।
भविष्य की योजना
राजवर्धन का सपना है कि वे भविष्य में माउंट एवरेस्ट की चोटी पर तिरंगा फहराएं। साथ ही वे उदयपुर और राजस्थान के युवाओं को ट्रेकिंग, माउंटेनियरिंग और साहसिक खेलों के प्रति जागरूक करना चाहते हैं।
नवयुवकों के लिए संदेश
राजवर्धन का संदेश है-"कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं, अगर आप मेहनत, धैर्य और साहस के साथ उसे पाने का संकल्प लें।" वे युवाओं से कहते हैं कि शारीरिक फिटनेस पर ध्यान दें, छोटी-छोटी पहाड़ियों पर चढ़ाई से शुरुआत करें और अपने डर पर विजय पाएं।
प्रेरणा और सहयोग
राजवर्धन की इस उपलब्धि में उनके परिवार का विशेष योगदान रहा। साथ ही, उन्होंने बताया कि एवरेस्ट बेस कैंप ट्रेक पर कुल खर्च लगभग ₹2.5 लाख आया, जिसमें उनके परिवार और स्थानीय प्रायोजकों ने सहायता की। वे युवाओं को सलाह देते हैं कि अगर आप किसी लक्ष्य के लिए समर्पित हैं, तो प्रायोजक और सहयोगी अपने आप मिल जाते हैं।
राजवर्धन सिंह राणावत ने न केवल उदयपुर का नाम रोशन किया, बल्कि लाखों युवाओं को यह संदेश दिया कि सीमाएं केवल हमारे दिमाग में होती हैं। कड़ी मेहनत, आत्मविश्वास, और जुनून से हर ऊंचाई को छुआ जा सकता है।
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