दंगें में ऐसा तो.... होता है

दंगें में ऐसा तो.... होता है

नाटक के माध्यम से बयां किया दंगों के दर्द को

 
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‘थिएटरवुड कंपनी’ और ‘नाट्यांश सोसायटी ऑफ ड्रामेटिक एण्ड परर्फोमिंग आर्ट्स’ के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को महाराष्ट्र भवन में नाट्य संध्या का आयोजन किया गया। इस नाट्य संध्या के अन्तर्गत थिएटरवुड कंपनी के संस्थापक अशफाक नूर खान पठान द्वारा लिखित एवं निर्देशित म्यूजिकल प्ले ‘‘ऐसा तो.... होता है’’ का प्रस्तुतिकरण किया गया।

इस नाटक में पीयूष मिश्रा द्वारा लिखित व कम्पोज किये कुछ प्रसिद्ध एवं प्रचलित गानो - ‘उठ जा भाउ’, ‘आरंभ है प्रचंड’, ‘बस छल कपट’, ‘आबरू’ आदि को नाटक में सम्मिलित किया गया। नाटक आज के आम युवाओं की वर्तमान स्थिति और उनकी जिंदगी में मौजूद कठिनाईयों के इर्द गिर्द घूमता है। कलाकार अपने अभिनय से वर्तमान भारत के उन हालातों को उजागर करता है जिसमें धर्म, जाति, रंग, समाज, शहर आदि बातों को मुद्दा बना कर डर व खौफ का माहोल बनाया जाता है और बाद में इस माहौल का फायदा उठा कर सभी अपनी-अपनी दुकान चलाने लगते है।
 

नाटक की कहानी सात दोस्तों की आम जिंदगी से शुरू होती है, जो अलग-अलग शहर से आए हुए है और एक साथ एक किराए के कमरे में रह रहे है। जिनके बीच समय गुजरने के साथ अब गहरी दोस्ती हो चुकी है। अपने घर परिवार से दुर यह सभी किरदार रोजगार व नौकरी के लिए इस शहर में अपना आशियाना डाले हुये है। इन सभी की दोस्ती का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एक लड़के के पास नौकरी नही होने पर भी बाकि के 6 दोस्त उसका खर्च उठा रहे है। वहीं एक दुसरा लडका अपने कमरे में रह रही लड़की से प्यार करने लगता है, पर कह पाने की हिम्मत नही कर पाता है। सभी दोस्त एक दुसरे से प्यार भी करते है और लडतें भी है। जब यह सब अपने-अपने ऑफिस लिए एक ट्रेन में सवार होते है तभी, ना जाने कैसे दंगे शुरू हो जाते है और यह सब ट्रेन में फंस जाते है। शाम होते-होते दंगे ओर क्रुर हो जाते हैं। इस नाटक में बड़े ही संवेदनात्मक ढंग से यह दर्शाया गया है कि कैसे एक आम आदमी कुछ सियासी एवं राजनैतिक दांव-पेंचो की वजह से अपनी जिंदगी और सपने खो बैठता है।

इस नाटक में सात दोस्त की भुमिका में उर्वशी कंवरानी, मुकुल खांडिया, महावीर शर्मा, यश शाकद्वीपिय, भूवन जैन, हर्ष दुबे, जोमी जोजो अपने अभिनय से दर्शको को बांधे रखा। नाटक का लेखन, निर्देशन व प्रकाश परिकल्पना अशफाक नुर खान द्वारा की गई। मंच पार्श्व में मंच संचालन व संगीत संचालन - रेखा सिसोदिया, मंच निमार्ण व व्यवस्था - अगस्त्य हार्दिक नागदा व प्रस्तुति संयोजक मोहम्मद रिजवान मंसूरी व अमित श्रीमाली रहे। साथ ही रिया नागदेव, सोनाली सिन्हा, हर्षराज सिंह सोलंकी, महेश जोशी रोहित का सहयोग प्राप्त हुआ।

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