पिछोला किनारे घंटी बजाकर भीड़ को एकत्रित करने वाले "लव-कुश" की कहानी

पिछोला किनारे घंटी बजाकर भीड़ को एकत्रित करने वाले "लव-कुश" की कहानी

आप पिछोला तो कई बार घुमने गए होगे क्या कभी गुड़िया के बाल बेचने वाले लव-कुश को जाना है।

 
पिछोला किनारे घंटी बजाकर भीड़ को एकत्रित करने वाले "लव-कुश" की कहानी

-50रु रोज की कमाई होती है,घर का खर्चा चलाना बेहद मुश्किल होता है

-पापा बीमार रहते है,मां खेती करती है, बहनों की शादी कर्जा लेकर की जो अभी भी नही चुका सका

एक हाथ में पीतल की बजती हुई घंटी, तो दूसरे हाथ में लंबा बांस और उस पर टंगी छोटी-छोटी थैलियां में पैक गुड़िया के रंग-बिरंगे बाल। आप पिछोला तो कई बार घुमने गए होगे क्या कभी गुड़िया के बाल बेचने वाले लव-कुश को जाना है। आप खुद भी लव-कुश (उर्फ़ लोकेश) की कहानी सुनेगें तो हैरान रह जाएगें। पिछोला के किनारे घंटी बजाकर बच्चों और बड़ो की भीड़ को एकत्रित करने वाले लेकिन इस फेरीवाले को कोई नहीं जानता, न ही कभी जानने की कोशिश की होगी कि वो इस उम्र क्यों यह कर रहा है। 

जिम्मेदारियां क्या कुछ नहीं करवा देती है। पिछले 10 साल से गुड़िया के बाल बेच कर अपने परिवार का गुज़ारा करने वाले 19 वर्षीय लव-कुश की जहां शिक्षा प्राप्त करने की उम्र है वो गुड़िया के बाल बेच रहा है। लव-कुश शिक्षा प्राप्त करना चाहते है लेकिन घर का गुजारा कैसे किया जाए इसलिए 5वीं कक्षा तक अपनी शिक्षा प्राप्त की और फिर पढ़ाई छोड़ दी। लव-कुश बताते है कि वह 5 भाई बहन है।  दोनों बड़ी बहनो की शादी के लिए कर्जा लिया था जो वह अभी तक नही चुका पाया है।

लव-कुश बताते है की उनकी मां गांव में खेती करती है कभी कभी तबीयत खराब होने से वो भी काम पर नहीं जाती है। जब वो 10 साल के थे तभी पापा का एक्सीडेन्ट हो गया और सारी जिम्मेदारियों का बोझ उन पर आ गया। घर में दो छोटे भाई जिनकी उम्र 10 साल और 8 साल की है उनकी स्कूल फीस की जिम्मेदारी का बोझ भी लव-कुश पर ही है। दोनों भाईयो की ऑनलाइन क्लासेज तो होती है लेकिन एंडाइड मोबाईल नहीं होने से वो भी अपनी पढ़ाई पुरी नही कर पा रहे। पापा के बीमार रहने और भाई छोटे है तो खाना भी उनको बनाना पड़ता है।   

लॉकडाउन में जब सब कुछ बंद था उनके पास खाने तक के पैसे नहीं थे। और अभी लॉकडाउन तो खत्म हो गया लेकिन अभी भी कोई गुड़िया के बाल नहीं खरीदता। रोज़ की केवल 50 रु कमाई होती है। ऐसे में पिता की दवाईयों का खर्चा और भाईयों के पढ़ाई के ऊपर भी खर्च करना पड़ता है। कभी-कभी तो वह मकान का किराया तक नहीं दे पाते है। 

लव-कुश कहते है कि जब उनके दोस्त पिछोला घुमने आते है तो उनसे मिलते है और वह सभी कॉलेज में है तो लगता है कि काश में भी अपनी पढ़ाई कर रहा होता। यह तो सिर्फ लव-कुश की कहानी है न जाने कितने लव-कुश जैसे अपनी जिम्मेदारियों को पुरा कर रहे है।

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