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बिहार में जाति का खेल, किसके हाथ सत्ता की रेल?

बिहार की जंग: वोटों का दंगल, समीकरणों का संग्राम
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243 विधानसभा सीटों वाले बिहार चुनावों में दो चरणों में चुनाव सम्पन्न होने जा रहा है। पटना, भोजपुर, बक्सर, गोपालगंज, सीवान, सारण, मुजफ्फरपुर, वैशाली, दरभंगा, समस्तीपुर, मधेपुरा, सहरसा, खगड़िया, बेगुसराय, मुंगेर, लखीसराय, शेखपुरा और नालंदा जिले की विधानसभा सीटों पर पहले चरण में 121 विधानसभा सीटों के लिए मतदान होने हैं

दुसरे चरण की 122 सीटों में  पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया, किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, भागलपुर, बांकी, जमुई, नवादा, गया, जहानाबाद, अरवल, औरगंगाबाद, रोहतास ज़िले में चुनाव 11 नवंबर को सम्पन्न होंगे। जबकि सभी 243 सीटों के चुनाव की मतगणना 14 नवंबर को होगी। 

जातिवाद में उलझा गणित 

2023 में बिहार में जाति सर्वेक्षण में सबसे बड़ा तथ्य जो उभर कर सामने आया था वह था बिहार में ओबीसी और ईबीसी (अति पिछड़ा वर्ग) की तादाद सर्वाधिक 63 फीसदी है जिसमे ओबीसी क़रीब 27 फीसदी, ईबीसी (अति पिछड़ा वर्ग) करीब 36 फीसदी, SC करीब 19 फीसदी (जिसमे यादव 14%, कुर्मी 2.67% और कुशवाहा 4%), ST करीब 1 फीसदी, सवर्ण क़रीब 15 फीसदी तथा मुस्लिम अल्पसंख्यक करीब 17.7 फीसदी है। 

मोटे तौर पर अब जातियों का रुझान देखा जाए तो RJD के पक्ष में यादव मुस्लिम और कुछ हिस्सा ईबीसी का है वहीँ JDU के पक्ष में कुर्मी, कुशवाहा और ईबीसी का है , वहीँ BJP के पक्ष में सवर्ण और ईबीसी तथा कांग्रेस के पक्ष में मुस्लिम और ओबीसी, वामपंथी पार्टियों के पक्ष में मुस्लिम, दलित का रुझान रहता है। वहीँ प्रशांत किशोर की नई नवेली जन सुराज पार्टी के पक्ष में फ़िलहाल तो सवर्ण और असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM के पक्ष मुस्लिम का रुझान रह सकता है हालाँकि वास्तविक परिणाम तो 14 नवंबर को ही पता चलेगा।  लेकिन यदि जन सुराज और AIMIM का प्रदर्शन ठीक ठाक रहता है दोनों प्रमुख गठबंधनों को नुक्सान दे सकता है। 

ओपिनियन पोल की माने तो BJP/JDU के वर्चस्व वाली NDA और RJD/Congress के वर्चस्व वाली INDIA ब्लॉक के बीच टक्कर कांटे की रहने वाली है। NDA गठबंधन में BJP और INDIA ब्लॉक में RJD सबसे बड़ी पार्टी बन सकती है।  दोनों गठबंधन में सहयोगी JDU, चिराग पासवान की LJP, कांग्रेस, मुकेश सहनी और वामपंथी पार्टियों का प्रदर्शन दोनों गठबंधन का भविष्य तय करेगा। 

आपको बता दे की NDA गठबंधन में BJP और JDU 101-101 सीटों पर, चिराग की LJP 28, जीतनराम मांझी की HAM-6 और NPF 6 सीटों पर अपना भाग्य आज़मा रही है। 

वहीँ INDIA ब्लॉक से RJD 142 सीट, कांग्रेस 62, CPI-ML 20, CPI 9 और CPM 4 सीटों पर अपना भाग्य आज़मा रही है। 

PK और ओवैसी की परीक्षा

116 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी की बात की जाये तो प्रशांत किशोर की छवि चुनावी रणनीतिकार की रही है लेकिन खुद प्रशांत किशोर ने कभी चुनाव नहीं लड़ा है ऐसे में जातिवाद की गणित में उलझे बिहार में उसकी भूमिका के बारे में इतना ही कहा जा सकता है कि या तो वे अर्श पर पहुंचेंगे व फर्श पर ही सिमट जाएंगे। सवाल यह नहीं कि प्रशांत किशोर कितनी सीट जीतेंगे सवाल यह है कि प्रशांत किशोर कितनी सीट पर दोनों गठबंधनों को नुक्सान पहुंचाएंगे। यह प्रशांत किशोर को मिलने वाले मतों के प्रतिशत पर निर्भर करेगा। कांटे की टक्कर वाली सीटों पर निश्चित रूप से वह नतीजे को प्रभावित करेंगे। प्रशांत किशोर का प्रदर्शन NDA को अधिक नुक्सान पहुंचा सकता है। 

इसी प्रकार असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM ने पिछले चुनाव में मुस्लिम बहुल 5 सीटों पर जीत हासिल कर कई सीटों पर INDIA ब्लॉक को झटका दिया था हालाँकि उसकी पार्टी के जीते हुए सभी उम्मीदवार RJD और JDU में शामिल हो गए थे।  इस बार के चुनाव में AIMIM की टिकट पर 25 उम्मीदवार मैदान में है। इन दिनों में असदुद्दीन ओवैसी बिहार में डेरा डाले हुए है।  AIMIM यदि अच्छा प्रदर्शन करती है इसका खामियाज़ा निश्चित तौर पर INDIA ब्लॉक को होने वाला है।    

यदि दोनों गठबंधनों में कांटे की टक्कर होती है तो प्रशांत किशोर और ओवैसी की पार्टी किंगमेकर भी बन सकती है लेकिन सवाल यह है कि दोनों पार्टिया नतीजे के बाद अपने जीते हुए उम्मीदवारों को संभाल पाएगी। क्यूंकि बिहार की राजनीती इतनी आसान नहीं यहाँ पल पल में समीकरण बदलते है और पल पल में गठबंधन बिखर सकते है और नए समीकरण उभर सकते है।