वाम दलों का केन्द्रीय बजट 2025 के खिलाफ संयुक्त विरोध प्रदर्शन


वाम दलों का केन्द्रीय बजट 2025 के खिलाफ संयुक्त विरोध प्रदर्शन

केन्द्रीय बजट पर आक्रोश दर्ज करने के लिए नरेंद्र मोदी का पुतला फूँका
 
left parties oppose

उदयपुर 19 फ़रवरी 2025। जिला कलेक्टर कार्यालय पर वाम दलों का जनविरोधी बजट 2025 के खिलाफ संयुक्त विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया। आम बजट 2025 को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन ने फ़रवरी 1 को पेश किया था। उदयपुर में आज का विरोध प्रदर्शन वाम दलों के संयुक्त राष्ट्रीय आह्वान के तहत आयोजित किया गया। 

इस मोके पर बोलते हुए भाकपा (माले) के राज्य सचिव शंकरलाल चौधरी ने कहा आम बजट 2025 अतिधनाढ्यों को राहत देकर जरूरतमंदों पर बोझ बढ़ाने वाला है।  मोदी 3.0 सरकार का पहला पूर्ण बजट खाद्य वस्तुओं की बढ़ती मंहगाई, रुके हुए आर्थिक विकास, घटते रोजगार, गिरता रुपया, आम जन की घटती क्रय शक्ति, किसानों के आन्दोलन और विकासमान अर्थव्यस्थाओं पर ट्रम्प के अमेरिकी प्रशासन की धमकियों के बीच पेश हुआ था। आमजन राहत देने वाला बजट चाहते थे जिससे बढ़ रही आर्थिक विषमता कम हो और आम जन की क्रय शक्ति बढ़े। पर बजट में आवश्यक उपभोक्ता सामग्री पर जीएसटी में कमी करने और जनकल्याण योजनाओं में खर्च बढ़ाने की जरूरत को अनदेखा किया गया है। 

माकपा जिला सचिव राजेश सिंघवी ने कहा इस देश के 60 करोड़ किसानो, 55 करोड़ मजदूरों एवम 20 करोड़ निम्न मध्यम वर्ग के लिए प्रभावी रूप से कुछ नहीं है और यह केवल बड़े धनपतियों एवम इनकम टैक्स के दायरे में आने वाले उच्च मध्यम वर्ग के हितों को साधने के लिए लाया गया बजट है । कॉरपोरेटों और अमीरों पर टैक्स बढ़ाने के लिए सरकार में राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी साफ तौर पर उजागर हो रही है। निजी क्षेत्र के लगातार बढ़ रहे मुनाफे के बावजूद सरकार की प्राथमिकता अमीरों पर टैक्स बढ़ाने की जगह जनकल्याण, सामाजिक, कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों में खर्च कम करने की है। यह बिल्कुल जनविरोधी दिशा है। 

भाकपा के वरिष्ठ नेता हिम्मत चाँगवाल ने कहा बजट में कृषि और किसान कल्याण विभाग का आवंटन और खाद्य सुरक्षा के बजट में भी अपेक्षा के अनुरूप खर्च नहीं किया गया है।  स्किल डेवलपमेंट और एन्टरप्रिन्योरशिप के नाम पर पिछले बजट में काफी कुछ कहा गया था, लेकिन इस मद में दिये गये 1435 करोड़ में से सरकार ने मात्र 669 करोड़ ही खर्च किये।  आशा, आंगनबाड़ी, मिड-डे मील व अन्य स्कीम वर्कर्स की नियमित करने और कम से कम न्यूनतम मजदूरी देने की मांग को फिर से नकार दिया गया है, जो चिन्ताजनक है।  सरकार ने बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश को 100 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है, जबकि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में आवंटन घटाया है।  जाहिर है देश के किसान और आम जन को बड़े निजी कारपोरेशनों की दया पर छोड़ा जा रहा है।  

एम.सी.पी.आई.यू कि वरिष्ठ नेत्री लीला शर्मा ने कहा जब हम बजट का विरोध करने के लिए एकजुट हुए है तब भारतीयों को अमेरिका से अपमानजनक तरीके से निकाला जा रहा है पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प कि हर तरीके कि धमकियों पर मौन है। 

प्रोफेसर हेमेन्द्र चंडालिया ने कहा कि भाजपा सरकार कि जनविरोधी नीतियों के खिलाफ संघर्ष करना है तो मजदूरों किसानों को लाल झंडे कि पार्टियों के तले एकजुट होना होगा। 

वरिष्ठ पत्रकार हिम्मत सेठ ने कहा सरकार ने पिछले साल पूंजीगत निवेश बढ़ाने की घोषणा कर खुद ही अपनी तारीफों के पुल बांध दिये थे, लेकिन सच्चाई सामने आ रही है कि घोषणा से 1.84 लाख करोड़ रुपये कम खर्च किये गये है! आज समय कि जरूरत है कि शिक्षा पर कम से कम जीडीपी का 6 प्रतिशत और स्वास्थ्य पर 3 प्रतिशत का बजट में प्रावधान किया जाए। 

इस मोके पर भाकपा (माले) के जिला सचिव चंद्रदेव ओला ने कहा धरातल कि सच्चाई यही है कि जो घोषणा बजट में होती है वो लागू भी नहीं होती। जल जीवन मिशन के नाम पर गावों में नीले पाइप तो डाल दिए गए है पर जल आपूर्ति नहीं हो रही। इस मोके पर मनरेगा में बजट बढ़ाने, किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू करने, निजीकरण महंगाई बेरोजगारी पर रोक लगाने कि मांगों के साथ नारे लगाए गए। वाम दलों के कार्यक्रताओ ने जनविरोधी बजट पर अपना आक्रोश दर्ज करने के लिए नरेंद्र मोदी का पुतला भी फुका। सभा में हीरालाल साल्वी, गुमान सिंह, सुरेश मीणा, रामचन्द्र शर्मा आदि मोजूद थे। सभा के बाद जिला कलेक्टर उदयपुर के माध्यम से राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दिया गया।

To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on   GoogleNews |  Telegram |  Signal