उदयपुर के जनजाति अंचल में दो सांसदों के बीच जुबानी जंग ने राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है। भारतीय आदिवासी पार्टी (बीएपी) के बांसवाड़ा सांसद राजकुमार रोत और उदयपुर सांसद मन्नालाल रावत के बीच तीखी बयानबाजी जारी है, जिसने क्षेत्रीय राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है।
बुधवार को उदयपुर सांसद मन्नालाल रावत ने बांसवाड़ा सांसद राजकुमार रोत पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। रावत ने आरोप लगाया कि सांसद रोत और उनकी पार्टी आदिवासी समाज की रक्षा का ढोंग कर रहे हैं जबकि असल में वे जंगलों और जमीनों पर कब्जे कर रहे हैं। रावत ने बताया कि बीएपी और रोत की पार्टी के लोग प्रतापगढ़ जिले के धरियावाद में एक हजार से ज्यादा पेड़-पौधों को नष्ट कर चुके हैं और जमीन पर कब्जा कर रहे हैं। वन विभाग ने इस मुद्दे पर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है और मुख्यमंत्री व आला अधिकारियों से जांच की मांग की है।
रावत ने आगे कहा कि इस तरह के खुलासे से रोत और उनकी पार्टी की बदनीयती उजागर हो गई है, जिससे वे बौखला गए हैं और अब मुझ पर व्यक्तिगत हमले कर रहे हैं। रावत ने यह भी दावा किया कि सांसद रोत आदिवासियों को ईसाई धर्म की ओर आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे समाज में विभाजन पैदा हो रहा है। उन्होंने कहा कि वे आदिवासी समाज के हित के लिए लगातार काम करेंगे और समाज को तोड़ने वाले किसी भी प्रयास के खिलाफ आवाज उठाते रहेंगे।
तो वहीं बांसवाड़ा सांसद राजकुमार रोत ने उदयपुर सांसद मन्नालाल रावत पर एक दिन पूर्व तीखे आरोप लगाए। रोत ने कहा कि रावत और उनकी पार्टी आदिवासियों के खिलाफ साजिश कर रहे हैं और भड़काने का काम कर रहे हैं। रोत ने आरोप लगाया कि सरकार विकास के नाम पर जातिवाद की राजनीति कर रही है और आदिवासियों के अधिकारों की अनदेखी की जा रही है। उन्होंने आरोपियों पर कानूनी कार्रवाई की मांग की थीं और एक वायरल ऑडियो की जांच की भी मांग की, जिसमें उन्होंने कहा कि इसकी आवाज की पहचान की जाए।
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