जैसे-जैसे राजस्थान में विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं वैसे वैसे आसींद विधानसभा क्षेत्र में चुनावी बिसात भी जमने लगी है। भीलवाड़ा जिले के आसींद विधानसभा क्षेत्र में राजनीतिक तपिश बढ़ने के साथ ही किसको मिलेगा टिकट, किसका कटेगा टिकट की चर्चाएं अब गांव की चौपाल पर होने लगी। अगर भीलवाड़ा जिले की राजनीति की बात करें तो आसींद विधानसभा क्षेत्र की राजनीति के बिना जिले की राजनीति अधूरी है।
आसींद विधानसभा क्षेत्र में गुर्जर समाज के अंतरराष्ट्रीय तीर्थ स्थल सवाई भोज, भगवान श्री देवनारायण की जन्म स्थली मालासेरी डूंगरी, शक्तिपीठ बंक्यारानी माताजी,बदनोर में अरावली की वादियों में बैठी बैराट माता, गुलाबपुरा में गुलाब बाबा की धूनी सहित विदेशों तक पहचान रखने वाली आगूचा माइंस इस विधानसभा क्षेत्र की पहचान है। आजादी के इतने सालों बाद भी आज भी इस विधानसभा क्षेत्र में रोजगार सबसे बड़ा मुद्दा है एवं कम बारिश के कारण जल संकट की समस्या वर्षों से बनी हुई है। वही रोजगार के लिए इस विधानसभा क्षेत्र से हर वर्ष हजारों परिवार गुजरात एवं महाराष्ट्र के शहरों में जाकर मजदूरी एवं व्यवसाय करते हैं। जिले में सबसे अधिक पलायन इसी क्षेत्र से हैं, अब जनता को यहां रोजगार उपलब्ध करवाने एवं खेती के लिए पानी की समुचित व्यवस्था करवाना ही सबसे बड़ा मुद्दा बना हुआ है।
आसींद क्षेत्र के कई बड़े नेताओ का राजस्थान की राजनीति में हमेशा देश प्रदेश में दबदबा रहा है। यहां के कांग्रेस के पूर्व विधायक स्वर्गीय गिरधारी लाल व्यास काग्रेस प्रदेश अध्यक्ष रहे। राजस्थान की राजनीति में कई सालों तक दबदबा रहा अपनी बेबाक वाणी के चलते गिरधारी लाल व्यास ने कई सालों तक जनता के दिलों पर राज किया। वही गिरधारी लाल व्यास के बाद जनता पार्टी एवं बीजेपी के विधायक बने और भाजपा के कई बड़े चेहरे की राजस्थान की राजनीति में एंट्री हुई ।
भारतीय जनता पार्टी में आसींद विधानसभा क्षेत्र के बदनोर कस्बे के निवासी पूर्व राज्यपाल विजेंद्र पाल सिंह (वीपी सिंह ) रहे हैं, 1949 में बदनोर राजघराने में जन्मे वीपी सिंह आसींद विधानसभा क्षेत्र से चार बार विधायक रहे एवं भैरो सिंह शेखावत सरकार में सिंचाई विभाग के मंत्री रहे एवं 13वी लोकसभा चुनाव में 1999–04 तथा 14वी लोकसभा 2004–09 तक दो बार भीलवाड़ा जिले के सांसद रहे ।
2009 का लोकसभा का चुनाव हारने के बाद भाजपा ने 2010 में वीपी सिंह बदनौर को राज्यसभा में भेज दिया और बाद में पंजाब के राज्यपाल रहे, वही वर्तमान में मांडल विधायक एवं राजस्व मंत्री कांग्रेसी नेता रामलाल जाट भी इसी विधानसभा क्षेत्र के प्रतापपुरा गांव से आते हैं।
हालांकि रामलाल जाट भी यहां एक बार किस्मत आजमा चुके हैं लेकिन यहां सफलता नहीं मिल पाई, वही बदनोर के विट्ठल शंकर अवस्थी यहां 2003 में चुनाव हारने के बाद भीलवाड़ा शहर की राजनीति में गए और वहां पर करीब तीन दशक से विधायक पद पर काबिज हैं। इनके अलावा और कई कांग्रेसी एवं भाजपा के बड़े लीडरों की यह जन्मस्थली रही है।
करीब 30 सालों से कांग्रेस को जीत का इंतजार है
30 साल से कांग्रेस आसींद विधानसभा सीट पर खाता भी नहीं खोल पाई वहीं अब तक के 17 विधानसभा चुनाव में यहां छह बार भाजपा, छह बार कांग्रेस को जीत मिली । एक बार जनता पार्टी एवं चार बार निर्दलीयों ने कब्जा जमाया।
वहीं अगर 2018 की बात की जाए तो राजस्थान के 15वीं विधानसभा चुनाव में पूर्व विधायक हगामी लाल मेवाड़ा के सुपुत्र मनीष मेवाड़ा ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और भाजपा के विधायक जबर सिंह सांखला से मात्र 154 वोटो से चुनाव हार गए और 2018 में भी यह सीट कांग्रेस के खाते में जाने से चूक गई और लगातार तीसरी बार भाजपा के खाते में यह सीट चली गई। तीन दशक से कांग्रेस पार्टी मामूली मतों से यह सीट हारती चली आ रही है।
हालांकि 2003 के विधानसभा के चुनाव में हगामी लाल मेवाड़ा कांग्रेस से बागी होकर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे और भाजपा के विट्ठल शंकर अवस्थी को हराया। कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़े पूर्व डेयरी चेयरमैन छोगालाल गुर्जर (दांतडा बांध) तीसरे स्थान पर रहे एवं जमानत जब्त हो गई। हगामी लाल मेवाड़ा वॉलीबॉल के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी रहे हैं, अब खेल के मैदान को छोड़कर दो दशक से राजनीतिक खेल की पारी खेल रहे हैं। मेवाड़ा खिलाड़ी कोटे से बैंक में नौकरी करने लगे और बाद में बीजेपी से राजनीति शुरू की लेकिन थोड़े दिन बाद ही बीजेपी की राजनीति रास नहीं आई और कांग्रेसी की कमान संभाली तब से ही सबसे मजबूत चेहरे हगामी लाल मेवाड़ा बने हुए हैं।
आसींद विधानसभा का पिछले 30 सालों का चुनाव परिणाम
अब 2023 के प्रस्तावित विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से ज्यादा भाजपा के दावेदार
2023 के प्रस्तावित विधानसभा चुनाव में आसींद विधानसभा क्षेत्र से भाजपा में उम्मीदवारों की संख्या अधिक है ,बीजेपी में तो एक अनार 100 बीमार वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। टिकट की दौड़ में कई नेता सक्रिय हैं जयपुर से लेकर दिल्ली के दरबार में हाजिरी लगा रहे हैं। एवं कहीं नेता धार्मिक कार्यक्रमों के बहाने वोटर को लुभाने का पूरा प्रयास कर रहे हैं।
कांग्रेस के मुख्य संभावित सबसे प्रबल उम्मीदवार पूर्व विधायक हगामी लाल मेवाड़ा एवं उनके पुत्र मनीष मेवाड़ा टिकट की दौड़ में सबसे आगे हैं। मेवाड़ा मुख्यमंत्री गहलोत के नजदीकी नेताओं में गिने जाते हैं एवं अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी होने के कारण पूरे राजस्थान में पहचान है। इस समय मेवाड़ा बांसवाड़ा संभाग के प्रभारी भी हैं और पीसीसी प्रदेश उपाध्यक्ष भी वही है। हगामी लाल मेवाड़ा के साथ-साथ गुलाबपुरा नगर पालिका के अध्यक्ष सुमित काल्या, पूर्व डेयरी अध्यक्ष रतनलाल चौधरी ,पंचायत समिति सदस्य शंभू लाल गुर्जर सहित कहीं दावेदार भी अपनी दावेदारी जता सकते हैं।
भाजपा से दावेदारी की लिस्ट लंबी है
विधायक जबर सिंह सांखला वापस टिकट लेने की जुगाड़ में लगे हुए हैं, विधायक जबर सिंह सांखला का कहना है कि मेने विधानसभा में सबसे अधिक प्रश्न पूछे हैं, मेरी साफ एवं ईमानदार छवि के चलते मुझे वापस टिकट मिलेगा मैंने कई वर्षों से बंद पड़े भोजपुर फीडर का निर्माण का कार्य शुरू करवाया, गुलाबपुरा में कॉलेज खुलवाया, बदनोर पंचायत समिति खुलवाई सहित कई कार्य करवाए।
वहीं इसी के साथ ही पूर्व विधायक रामलाल गुर्जर भी प्रबल दावेदार हैं, सरपंच संघ के जिला अध्यक्ष एवं कालियास सरपंच शक्ति सिंह कालियास, गुलाबपुरा नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष धनराज गुर्जर, मनफूल सिंह चौधरी, तेजवीर सिंह चुंडावत, बदनोर प्रधान ऐश्वर्या रावत, हरजीराम गुर्जर, वीपी सिंह के सुपुत्र अभिजीत सिंह बदनोर, राजमल मेवाड़ा एवं ब्राह्मण चेहरे में पूर्व मंडल अध्यक्ष भगवती लाल शर्मा भी अपनी दावेदारी जाता रहे हैं।
आसींद विधानसभा का जातीय समीकरण
अगर जातीय समीकरण की बात करें तो करीब तीन लाख के करीब इस विधानसभा क्षेत्र में मतदाता हैं, पूरे विधानसभा क्षेत्र में गुर्जर, जाट, एससी एसटी, ब्राह्मण ,रावत, राजपूत, नाथ समाज के मतदाता अधिक प्रभावी हैं। इस विधानसभा क्षेत्र में 3 उपखंड तीन पंचायत समितियां है, आसींद पंचायत समिति में कांग्रेस की सीता देवी खटीक प्रधान है, बदनोर में भाजपा की ऐश्वर्या रावत, हुरड़ा में कांग्रेस के कृष्ण सिंह प्रधान है।
वहीं इस विधानसभा क्षेत्र में दो नगर पालिका क्षेत्र हैं, आसींद में भाजपा के देवीलाल साहू और गुलाबपुरा में कांग्रेस के सुमित काल्या चेयरमैन है, आसींद क्षेत्र में गुर्जर,एस सी एसटी समुदाय तो बदनोर में रावत राजपूत एवं गुलाबपुरा उपखंड क्षेत्र में जाट मतदाताओं की प्रभावी भूमिका रहती हैं।
कांग्रेस भाजपा के नेताओं के दौरे से बड़ी राजनीतिक गर्मी बढ़ी
अगर संगठन लेवल में धरातल की बात की जाए तो भाजपा कांग्रेस से आगे हैं, गुर्जर समाज के मतदाताओं की अधिकता एवं गुर्जर समुदाय को साधने के लिए भाजपा के सबसे बड़े चेहरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 जनवरी 2023 को मालासेरी में भगवान श्री देवनारायण की जन्म स्थली में विशाल धर्म सभा को संबोधित कर चुके हैं, देवनारायण के बहाने मोदी ने गुर्जर समुदाय को साधने का पूरा प्रयास किया । वही बूथ मैनेजमेंट को मजबूत करने के लिए एवं एससी एसटी मतदाताओं को साधने के लिए केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भीलवाड़ा जिले सहित आसींद क्षेत्र में संगठन को मजबूत करने के लिए मीटिंग कर चुके हैं। वहीं नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र सिंह राठौड़ राजसमंद सांसद एवं प्रदेश महामंत्री दिया कुमारी भी बूथ मैनेजमेंट की मीटिंग कर चुकी है ।
वही अगर कांग्रेस पार्टी में अब तक कोई बड़ा नेता आसींद विधानसभा क्षेत्र में जनसभा नहीं कर पाया, 19 अगस्त शनिवार को गुलाबपुरा में आईसीसी के पर्यवेक्षक पंडित नीरज शर्मा गुलाबपुरा आए और कांग्रेस कार्यकर्ताओं से फीडबैक लिया इसके अलावा राजस्व मंत्री रामलाल जाट सहित कई नेताओं के दौरे लगातार हो रहे हैं । अबकी बार कांग्रेस पार्टी प्रदेश स्तरीय रणनीति बनाकर आसींद सीट को जीतने के लिए अलग से रणनीति बना रहे हैं।
वही हगामी लाल मेवाड़ा को राज्य सरकार की योजनाओं से फायदा मिलने की उम्मीद है, वही मेवाड़ा जमीनी स्तर पर जुड़े हुए नेता हैं। एसीएसटी समुदाय में बड़ा प्रभाव है, अबकी बार मेवाड़ा को सहानुभूति के वोट मिलने की पूरी उम्मीद है और राज्य सरकार की योजनाओं से मतदाताओ का कांग्रेस की ओर झुकाव की संभावना से उत्साहित है।
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