"पैसा लेना हो तो कोर्ट जाओ" वित्त मंत्री का बयान निवेशको के घावों पर नमक छिड़कने जैसा
उदयपुर, 9 अगस्त। लोकसभा के प्रश्न काल में माकपा सांसद अमराराम एवं अन्य सांसदों द्वारा सहारा इंडिया की विभिन्न योजनाओं में निवेशको की जमा राशि लौटाने के बारे में सवाल करने पर वित्त मंत्री सीतारमण द्वारा निवेशको को कोर्ट जाकर पैसे लेने की बात कहना निवेशको के घावों पर नमक छिड़कने जैसा है।
माकपा जिला सचिव एवं पूर्व पार्षद राजेश सिंघवी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2012 में सहारा समूह की 25781 करोड रुपए की संपत्ति को अटैच करने का केंद्र सरकार को आदेश दिया लेकिन सेबी ने केवल 15000 करोड़ की संपत्ति को ही अटैच किया तथा सेबी ने वर्ष 2012 से आज तक मात्र 138 करोड रुपए ही निवेशको को भुगतान किया। इससे स्पष्ट होता है कि केंद्र सरकार की मंशा क्या है। उन्होंने बताया कि सहारा इंडिया प्रबंधन द्वारा न सिर्फ निवेशको की जमा राशि नहीं लौटाई जा रही, वरन कार्यकर्ताओं के भुगतान से काटा गया 2000 करोड रुपए का फ्यूचर फंड और टीडीएस के रूप में काटा गया 2000 करोड रुपए कार्यकर्ताओं को नहीं लौटाए जा रहे हैं।
इधर क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी कार्यकर्ता एवं निवेशक संघर्ष समिति के राज्य संयोजक विजय कुमार वर्मा ने कहा कि वित्त मंत्री द्वारा लोकसभा में सवाल के जवाब में यह कहना कि" सरकार पैसा देना चाहती है लेकिन लोग कागज लेकर पैसा लेने नहीं आ रहे हैं" झूठ एवं बेशर्मी की पराकाष्ठा है ।
वर्मा ने कहा कि लाखों निवेशकों ने अपनी जमा राशि के भुगतान के लिए कृषि मंत्रालय में आवेदन कर रखे हैं और उदयपुर से भी हजारों निवेशकों ने कागज जमा कर रखे हैं लेकिन उन्हें पैसा नहीं मिला। उन्होंने कहा कि 1 वर्ष पहले सहकारिता मंत्री अमित शाह द्वारा पोर्टल पर आवेदन करने पर राशि का भुगतान करने के लिए प्रत्येक निवेशक को 10000 रुपये देने की घोषणा की थी लेकिन यह राशि भी आवेदन करने वालों में से मात्र 10% लोगों को ही मिली है।
सिंघवी एवं वर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार और भाजपा को आने वाले दिनों में इस झूठ और बेशर्मी की कीमत चुकानी पड़ेगी।
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