जाए तो जाए कहाँ ?


जाए तो जाए कहाँ ?
 

बाहरी राज्यों से आये मज़दूर परिवार फंसे 
 
 
जाए तो जाए कहाँ ?
हाइवे पर पैदल चल कर अपने गाँव तक पहुँचने का कर रहे प्रयास

उदयपुर 30 मार्च 2020 ।  कोरोना महामारी के चलते लॉक डाउन के दौरान सबसे बुरी मार उन मज़दूरों और उनके परिवारों पर पड़ रही है जो बाहरी राज्यों में रोज़गार की तलाश में गए और अपने वतन घर पर लौटने की कवायद में जुटे हुए है। वलीचा हाइवे पर आज ऐसे ही मज़दूरों की टोलिया नज़र आई जो किसी तरह गुजरात महाराष्ट्र से राजस्थान में तो आ गये लेकिन अब उन्हें गांव जिले में पहुँचने के लिए जद्दोजहद करनी पड रही है। 

पैदल ही चल पड़े मंज़िल की ओर 

कुछ लोग तो पैदल ही अपने गांव की ओर चल पड़े। किसी को गोगुन्दा जाना है तो किसी को झाड़ोल। उन लोगो को न तो बस मिल रही है न कोई अन्य साधन, कुछ लोग ट्रको और पिकअप में सवार होकर चल पड़े है। कइयों के पास न तो पैसे है न खाने का सामान। हालाँकि खाना और पानी तोह फिर भी मिल जाता है, लेकिन सवाल यह है की जाए तो जाये कहाँ ?

ट्रक का सहारा मिला प्रवासी मज़दूरों को 

हाइवे पर चल रहे मज़दूरों ने बताया की उन्हें खाना और पानी तो मिल जाता है लेकिन बड़ी चिंता उन्हें अपने घर लौटने की है। रास्ते में एक जगह सिख समाज के युवाओ की टोली पैदल, मोटरसाइकिल और अन्य गाड़ियों में सवार मज़दूरों और राहगीरों को पानी पिलाने का कार्य अंजाम देते नज़र आये. इसी प्रकार कई समाजसेवियों और स्वयंसेवी संस्थाएँ खाना भी खिला रही है। लेकिन बड़ा सवाल उन लोगो को अपने गंतव्य तक पहुँचने का है। 

सिख युवाओ की टोली राहगीरों और मज़दूरों की पानी पिलाती हुई 

वलीचा के निकट सड़क के किनारे बैठे एक परिवार ने बताया की वह अहमदाबाद से आये है और अब उन्हें ग्वालियर (मध्यप्रदेश) जाना है। किस प्रकार जाए कुछ सूझ नहीं रहा। साथ में बच्चे और औरते भी है, कोई साधन नहीं जाने का , ऐसे में अब तो बॉर्डर भी सील हो गई है।  

वलीचा में सड़क किनारे बैठा परिवार गुजरात से आया है मध्यप्रदेश जाना है 
आते जाते लोगो से लिफ्ट मांगते, इन्हे झाड़ोल जाना है


 

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