झीलों की नगरी उदयुपर देश और दुनिया में एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता है यहाँ की झीले ही नहीं बल्कि महल, झरोखे और हवेलियां भी देशी विदेशी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। देश और दुनिया के कई ट्रेवल ब्लॉगर और ट्रेवल मैगज़ीन इस खूबसूरत शहर को बेहतरीन रैंकिंग का तमगा दे चुके है।
सरकार भी पर्यटन को लेकर नए नए टूरिस्ट सर्किट और नई नई योजनाओ का स्वप्न दिखाती है। लेकिन इस शहर के कर्णधार जगत प्रसिद्ध पर्यटन नगरी के लिए कितने संजीदा है इसका अंदाज़ा झीलों में पसरी गंदगी, रख रखाव के अभाव में बर्बाद होते पर्यटन स्थल इसकी कहानी बयान कर देते है। समस्या सिर्फ यही नहीं है। पर्यटकों के लिए एक समस्या और भी है और वह समस्या यह है कि पर्यटकों को यहाँ देर रात खाना नसीब नहीं होता। जब तक रात मे खाने जैसी आधारभूत सुविधाओ का अभाव रहेगा तब तक उदयपुर मे Night Tourism की कल्पना करना बेकार है।
जी हाँ, इस शहर में रात को दस साढ़े दस बजे बाद यहाँ कोई खाना नहीं मिलता यहाँ तक की फ़ास्ट फ़ूड और हल्का फुल्का नाश्ता भी नहीं मिलता है। अगर पर्यटको को यह सुविधा मिल जाए तो शहर में पर्यटन क्षेत्र को लाभ होगा और उन लोगों को भी सहायता मिलेगी जो देर तक काम करते हैं या अस्पतालों में मरीजों की देखभाल करते हैं।
यह मुद्दा Udaipur Times के प्रकाश में आया है, जिसमें पूरे साल शहर में आने वाले असंख्य पर्यटकों को बेहतर सेवा प्रदान करने के लिए इस क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है। देर रात में भोजनालयों की उपलब्धता चांदनी रात में घूमने वालों पर्यटकों के लिए उपयोगी होगी।
देर रात के भोजन के विकल्पों की कमी
उदयपुर के प्रमुख पर्यटक स्थल और पर्यटकों की आवाजाही वाले स्थलों जैसे उदियापोल, दिल्लीगेट, सुखाड़िया सर्कल, फतहपुरा और फतेह सागर जैसे प्रमुख स्थलों पर रात में भोजन स्टालों और भोजनालयों की कमी है। वर्तमान में, शहर के इन स्थलों पर रात में संचालित होने वाले खाद्य स्टॉल उपलब्ध नहीं है खासकर उदियापोल और सूरजपोल जैसे क्षेत्र जहाँ केंद्रीय बस स्टेण्ड और रेलवे स्टेशन के नज़दीक है। जबकि बसें और रेल देर रात तक भी उदयपुर में आवागमन करती है।
ऐसा नहीं है कि शहर में रात को कहीं भोजन उपलब्ध नहीं है। रात को भोजन उदयपुर के बाहरी इलाको और हाइवे पर मौजुद ढाबों और रेस्तरां में उपलब्ध हैं जो देर रात तक चलने वाले ड्राइवरों के लिए खाना उपलब्ध कराते हैं, लेकिन ये शहर के पर्यटकों और देर रात में भोजन की चाहत रखने वालो के लिए असुविधाजनक हैं। परिणामस्वरूप ऐसे लोगो और अन्य पर्यटकों को शहर की सीमा के भीतर देर रात भोजन का विकल्प नहीं मिलता है।
प्रस्तावित समाधान
उदयपुर नगर निगम ने पहले शहर के प्रमुख स्थानों पर रात्रि भोजन बाजार खोलने की योजना की घोषणा की थी। हालाँकि, इस परियोजना को अभी परवान चढ़ना बाकी है ।
पर्यटन विभाग की उपनिदेशक शिखा सक्सेना का सुझाव देते हुए बताया कि नाइट फूड मार्केट और फैशन मार्केट के लिए निर्धारित स्ट्रीट आवंटित की जानी चाहिए। वह पर्यटकों के साथ-साथ निवासियों की जरूरतों को पूरा करने के लिए भोजन स्टॉल स्थापित करने और कियोस्क किराए पर देना चाहिए जो देर रात तक संचालित हो सके। इनसे न सिर्फ पर्यटकों बल्कि मादड़ी के आईटी पार्क के साथ-साथ हाथीपोल, पंचवटी, सुखेर जैसे व्यावसायिक क्षेत्रों में बड़ी संख्या में संचालित आईटी कंपनियां जो कि 24x7 आधार पर काम करती हैं उन्हें नजदीक भोजनालयों से मदद मिलेगी।
सुरक्षा संबंधी चिंताएँ और लाभ
सवाल यह है की क्या रात्रि बाज़ार खुलने से अपराध बढ़ सकते हैं ? हालाँकि, पर्यटन विभाग की उपनिदेशक शिखा सक्सेना का तर्क है कि जीवंत, अच्छी तरह से गश्त वाले रात्रि बाज़ार वास्तव में व्यस्त, अच्छी रोशनी वाली सड़कों को सुनिश्चित करके अपराध को कम कर सकते हैं। उन्होंने कहा, "जब रात को चहल पहल रहेगी तो अपराध दर में कमी होगी। इससे शहर के पर्यटन को फायदा होगा और आपराधिक गतिविधियां भी कम होंगी।"
प्रस्तावित रात्रि भोजन और फैशन बाज़ार
अन्य भारतीय शहरों की तरह उदयपुर में भी रात्रि बाजारों के माध्यम से पर्यटन को बढ़ावा देने की क्षमता है। सक्सेना ने इन बाज़ारों के लिए विशिष्ट क्षेत्रों का प्रस्ताव दिया है, जिनमें निम्नलिखित प्रस्ताव शामिल हैं
"उदयपुर में स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों पर्यटकों के बीच हस्तशिल्प एक आकर्षक अपील है। पर्यटकों को अक्सर पारंपरिक राजस्थानी कपड़े खरीदते और पहनते देखा जा सकता है, शहर की यात्रा के दौरान विदेशी अक्सर राजस्थानी पोशाक पहनते दिखाई देते हैं। उदयपुर की नाइटलाइफ़ में हस्तशिल्प बाजार की शुरूआत से पर्यटन को काफी बढ़ावा मिलेगा। " - शिखा सक्सेना (उप निदेशक, पर्यटन विभाग)
देर रात बस या ट्रेन से आने वाले पर्यटकों को अक्सर रात के खाने का कोई उचित विकल्प नहीं मिलता है, जिससे उन्हें होटल सेवाओं पर निर्भर रहना पड़ता है, जो महंगी हो सकती है। इसी तरह, रात में सरकारी अस्पतालों में आने वाले लोगों को भोजन की कमी का सामना करना पड़ता है क्योंकि यहाँ भी कोई कैंटीन या भोजन की सुविधा उपलब्ध नहीं है।
इन मुद्दों को ध्यान में रख कर प्रस्तावित रात्रि बाजारों को लागू करके, उदयपुर अपने पर्यटन क्षेत्र में उल्लेखनीय सुधार कर सकता है, जिससे यह ख़ूबसूरत शहर हर समय आगंतुकों के लिए सुविधाजनक बन सके।
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