राजस्थान रोडवेज़ के बसों की हालत खस्ताहाल है। बसों में मिलने वाली सुविधाओं के नाम पर मरहम पट्टी तक नहीं है। बसों की सीटें फटी हुई हैं, साथ ही खिड़कियां तक जाम है; अग्निशमन उपकरण और फर्स्ट एड किट तक मौजूद नहीं हैं।
अधिकांश बसों में यात्रियों को खड़े होकर यात्रा करनी पड़ती है। बसों में सफाई का भी घोर अभाव है। बसों में झाड़ू तक नहीं लगती है। रोडवेज़ बसों में यात्रियों की सबसे बड़ी समस्या सीट मिलने की होती है। कंडक्टर यात्रियों का टिकट तो बना देते हैं, लेकिन सीट न होने की वजह से बहुत से यात्रियों को खड़े होकर यात्रा करना पड़ता है।
ऐसी खस्ताहाल रोडवेज़ बसों में सफ़र करने के बजाय लोग डीलक्स और सेमी डीलक्स बसों को अधिक पसंद कर रहे है। रोडवेज़ में लंबी दूरी की यात्रा में डीलक्स और सेमी डीलक्स बसों का उपयोग किया जाता है। वहीं लग्जरी बसें भी गिनती की है। अन्य बसों की हालत काफ़ी खराब होने से लोग इनमे सफ़र करने में कम रुचि दिखा रहे है।
उदयपुर से पांच वॉल्वो बसें चलती है। इनमें 3 जोधपुर और दो जयपुर डीपो की है। इन बसों में यात्रीभार सामान्य रहत है, क्योंकि इनका किराया आम बसों से काफी अधिक है। ऐसे में आम यात्री इनमें सफर नहीं करते।
उदयपुर आगार के पास वर्तमान में 82 बसें हैं। इनमें से 14 से अधिक अनुबंधित है। इन बसों में से करीब 10 बसें ही डीलक्स और सेमी डीलक्स श्रेणी की है। इनमें 2X2 सीट वाली और स्लीपर बसें जयपुर,जोधपुर,कोटा,आबूरोड, आदि क्षेत्र में चलती है। इन बसों में यात्री भार अन्य बसों से अच्छा रहता है। वहीं अन्य बसों में यात्री भार कम रहता है।
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