आप कभी किसी फॉरेन कंट्री में घूमने गए हैं तो वहां हर स्ट्रीट पर दिशासूचक और पर्यटन स्थलों के लिए साइन बोर्ड लगे आसानी से नजर आ जाएंगे। वहीं भारत में भी केरल, हिमाचल, आदि जगहों के प्रमुख पर्यटन स्थलों के लिए साइन बोर्ड रेलवे स्टेशन एवं एयरपोर्ट पर लगे नजर आ जाएंगे। कई ने तो ये व्यवस्था भी कर रखी है कि पर्यटकों को उस राज्य के पर्यटन विभाग के मोबाइल App से ही सारे पर्यटन स्थलों की जानकारी आसानी से मिल जाती है।
उदयपुर भारतिय एवं विदेशी पर्यटकों का एक पॉपुलर डेस्टिनेशन बन चुका है, लेकिन यहां के रास्ते और गलियां बिना मैप और साइन बोर्ड के भूलभुलैया से कम नहीं है। पर्यटन व होटल व्यवसायी लंबे समय से शहर में आधुनिक साइन बोर्ड लगाने की मांग कर रहे हैं एवं यह भी सुझाव दे रहे हैं की, शहर के प्रमुख चौराहों व एंट्री पॉइंट्स पर शहर का मैप और पर्यटन स्थलों के प्रचार-प्रसार के बोर्ड भी जरूरी ।
पर्यटन व्यवसायियों के अनुसार हर बार शहर की तुलना विदेश के खूबसूरत शहरों से की जाती है, लेकिन वहां हर जगह साइन बोर्ड, इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले, मैप्स आदि लगे होते हैं। अब डिजिटल ज़माना है तो उसके अनुसार LED डिस्प्ले बोर्ड लगाए जाने चाहिए, जो रात में भी आकर्षित करें।
कई बार उठ चुका है मुद्दा
पर्यटन विकास समिति की बैठक में भी शहर में पर्यटन स्थलों के साइन बोडर्स लगाने को लेकर मुद्दा कई बार उठ चुका है। शहर में कहीं पर भी पुराने व नए पर्यटन स्थलों और धार्मिक स्थलों की जानकारी के सूचनात्मक साइन बोर्ड नहीं लगा रखे हैं। नई जगहों को लेकर भी प्रचार-प्रसार के लिए मैप्स होने चाहिए, जो की नहीं हैं।
उदयपुर होटल एसोसिएशन के उपाध्यक्ष, राजेश अग्रवाल ने कहा की पर्यटकों को शहर में प्रवेश करते ही बहुत से स्थान पर साइन बोर्ड नहीं होने के कारण गलत दिशाओं में भटकना पड़ता है। इसलिए उचित मार्ग निर्देशन के लिए साइन बोर्ड और पर्यटन स्थलों के प्रचार-प्रसार करने वाले बोर्ड और उन तक पहुंचने के निर्देश भी सभी जगह पर्यटक स्थलों से पूर्व लगाने चाहिए।
पर्यटक परेशानी का शिकार
केस 1: गुजरात से आए पर्यटक जब कार लेकर करणी माता जाना चाहते थे तो पारस और आसपास के क्षेत्र से करणी माता मंदिर को सर्च करने पर गूगल मैप माछला मगरा स्थित गोसिया कॉलोनी में उन्हें ले गया। ऐसे में कई लोगों से रास्ता पूछने के बाद वे करणी माता मंदिर तक पहुंचे।
केस 2: जर्मनी और उत्तराखंड से आए कुछ पर्यटक कार से मेनार गांव से उदयपुर की ओर आ रहे थे। वे गूगल मैप के सहारे रास्ता तय कर रहे थे। जब वे नवानिया राजमार्ग पर थे, तब App ने उन्हें एक वैकल्पिक मार्ग दिखाया, लेकिन इस वैकल्पिक मार्ग के चक्कर में उनकी कार ऐसे सुनसान रास्ते पर जाकर फंस गई, जहां से निकलने में ही उन्हें घंटों लग गए।
एयरपोर्ट के अलावा बाकी कहीं भी मैप व साइन बोर्ड नहीं
उदयपुर के महाराणा प्रताप एयरपोर्ट पर कुछ समय पहले ही आधुनिक साइन बोर्ड लगाया गया है, जिसमें QR कोड स्कैन करते ही शहर का मैप मोबाइल पर खुल जाता है। इसके अलावा शहर के रेलवे स्टेशन, बस स्टेंड और शहर के एंट्री गेट जैसे पारस तिराहा, भुवाणा, अम्बेरी, प्रतापनगर आदि किसी चौराहे पर ना तो शहर के मैप लगे हैं और ना ही कहीं शहर के प्रमुख पर्यटन स्थलों पर जाने के लिए कोई साइन बोर्ड ही लगे हैं। पर्यटन व्यवसायियों के अनुसार लेकसिटी का नाम दुनियाभर में मशहूर है, लेकिन जब पर्यटक यहां आते हैं तो कहीं भी उन्हें शहर का मैप नहीं मिलता। एक भी जगह पर शहर के प्रमुख पर्यटन स्थलों का प्रचार-प्रसार वाले बोर्ड नजर नहीं आते। ऐसे में पर्यटकों को गूगल मैप के भरोसे ही रहना पड़ता है।
To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on GoogleNews | Telegram | Signal