श्राद्ध पक्ष में श्रद्धालुओं की पीड़ा-हरिद्वार के लिए हफ्ते में सिर्फ 3 दिन ट्रेन उनमें भी वेटिंग


श्राद्ध पक्ष में श्रद्धालुओं की पीड़ा-हरिद्वार के लिए हफ्ते में सिर्फ 3 दिन ट्रेन उनमें भी वेटिंग

ट्रेन-रोडवेज में खर्च 450 से 1250 रुपए तक, 2 ट्रेवल्स बसों में इससे डबल  

 
train haridwar

उदयपुर,10 अक्टूबर । श्राद्ध पक्ष में पिंडदान-तर्पण के लिए हरिद्वार जाने वाले श्रद्धालु परेशान हो रहे हैं। शहर से हरिद्वार के लिए सिर्फ एक ट्रेन योग नगरी ऋषिकेश एक्सप्रेस (19609) है। ये भी सप्ताह में सिर्फ तीन दिन सोमवार, गुरुवार व शनिवार को ही चलती है। इसमें साल भर वेटिंग लिस्ट लंबी रहती है। ऐसे में श्राद्ध पक्ष में तो कन्फर्म टिकट मिलती ही नहीं। दूसरी ओर रोडवेज की केवल एक बस है। इसमें भी स्लीपर की व्यवस्था नहीं है। ट्रैवल्स की बसों और निजी वाहनों में मोटा खर्च करना पड़ रहा है।

सिटी रेलवे स्टेशन प्रबंधन के पास रोज बड़ी संख्या में लोग पूछताछ के लिए पहुंचते है, लेकिन निराशा के सिवाय कुछ नहीं मिलता। दोपहर 1:45 बजे रवाना होकर अगली सुबह 8:30 बजे हरिद्वार पहुंचने वाली इस ट्रेन में स्लीपर का किराया 450, जबकि थर्ड एसी का करीब 1250 रुपए प्रति यात्री है। दूसरी ओर रोडवेज में हरिद्वार के बीच रोज एक बस चलती है। ये सुबह 11:15 बजे शहर से रवाना होकर अगले दिन सुबह 9 बजे हरिद्वार पहुंचती है। इसमें इन दिनों इन सब 80 फीसदी बुकिंग है। सिर्फ सिटिंग की व्यवस्था वाली इस बस में 20 घंटे का सफर यात्रियों को परेशान है कर देता है। इसमे किराया प्रति यात्री 960 रुपए है। इस बस में ज्यादातर यात्रीभार जयपुर-दिल्ली तक का ही रहता है। 

इन सबके बीच संचालित दो प्राइवेट स्लीपर बसों में आम दिनों में प्रति यात्री किराया 1500 रुपए तक है, जो इन दिनों में 2500 तक पहुंच गया है। ये भी 19 घंटे में हरिद्वार पहुँचती है। इधर प्राइवेट टैक्सी ज्यादातर लोगों के बजट से बाहर हैं, क्योंकि छोटे वाहन में 23 हजार, जबकि 7 में 27 हजार तक खर्च हो जाते हैं। इन हालात में हरिद्वार ट्रेन का फेरा बढ़ाने या इसमें कोच बढ़ाने की जरूरत है। 

कोच या ट्रेन का फेरा बढ़ाए रेलवे तो राहत

शहरवासियों का कहना है कि श्राद्ध पक्ष के दौरान रेलवे इस ट्रेन में एक्सट्रा कोच लगाए तो यात्रियों को फायदा मिल सकता है। इस रूट पर ट्रेन के फेरे बढ़ाने की डिमांड भी है। रोडवेज से किसी सुविधा की उम्मीद कम ही है, क्योंकि परिवहन निगम पहले बसों और संसाधनों की कमी बताता है। 

 

 

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