21 अक्टूबर 2025। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने H-1B वीजा को लेकर नई गाइडलाइन जारी की है। इसमें यह साफ किया गया है कि सभी आवेदकों को 1,00,000 अमेरिकी डॉलर (करीब 88 लाख रुपये) की फीस नहीं देनी होगी। जो लोग पहले से अमेरिका में रह रहे हैं और अपना वीजा स्टेटस बदलना या प्रवास की अवधि बढ़ाना चाहते हैं, उन्हें यह बढ़ी हुई फीस नहीं देनी होगी।
यह फैसला भारतीय पेशेवरों के लिए बड़ी राहत है क्योंकि H-1B वीजा के तहत सबसे ज्यादा आवेदन भारत से ही आते हैं। साल 2024 में जारी कुल H-1B वीजा में करीब 70 प्रतिशत भारतीय मूल के कर्मचारियों को मिले थे।
USCIS ने जारी की नई गाइडलाइन
अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवा (USCIS) की नई गाइडलाइन में यह स्पष्ट किया गया है कि ट्रंप के 19 सितंबर के आदेश में दी गई कुछ छूटें अब लागू होंगी। यानी, जो H-1B वीजाधारक पहले से अमेरिका में हैं या जिनके आवेदन 21 सितंबर तक जमा किए जा चुके हैं, उन्हें नई बढ़ी हुई फीस से छूट दी जाएगी।
USCIS ने यह भी स्पष्ट किया है कि मौजूदा H-1B वीजाधारकों के अमेरिका आने-जाने पर कोई प्रतिबंध नहीं है।
कानूनी दबाव के बाद आया फैसला
H-1B वीजा पर ट्रंप प्रशासन के इस आदेश के खिलाफ यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स ने अदालत में याचिका दायर की थी। संगठन का कहना था कि बढ़ी हुई फीस से अमेरिकी कंपनियों को नुकसान होगा क्योंकि उन्हें विदेशी कुशल कामगारों की जरूरत होती है।
इसके बाद USCIS ने यह नई गाइडलाइन जारी की, जिससे भारतीय आईटी और टेक प्रोफेशनल्स को बड़ी राहत मिली है।
इन भारतीयों पर बड़ा असर
H-1B वीजा के माध्यम से अमेरिका में काम करने वालों में आधे से ज्यादा भारतीय होते हैं। ऐसे में यह फैसला सीधे भारतीय कर्मचारियों को फायदा पहुंचाएगा।
ट्रंप प्रशासन का कहना है कि उनकी नीति का उद्देश्य अमेरिकी नागरिकों को नौकरी में प्राथमिकता देना है, लेकिन इस फैसले से अब भारतीय पेशेवरों की स्थिति कुछ बेहतर हुई है।
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