कोरोना पीड़ितों की परेशानी - नेगेटिव रिपोर्ट हो जाती है positive

कोरोना पीड़ितों की परेशानी - नेगेटिव रिपोर्ट हो जाती है positive

न मेडिकल टीम पहुँचती है न मरीज़ को कोई निर्देश 

 
कोरोना पीड़ितों की परेशानी - नेगेटिव रिपोर्ट हो जाती है positive
वैश्विक महामारी कोरोना से सिर्फ मरीज़ ही संक्रमित नहीं हो रहे है। ऐसा लगता है सरकारी व्यवस्था और स्वास्थ्य विभाग भी संक्रमित हो गया है।

उदयपुर 24 सितम्बर 2020। वैश्विक महामारी कोरोना से सिर्फ मरीज़ ही संक्रमित नहीं हो रहे है। ऐसा लगता है सरकारी व्यवस्था और स्वास्थ्य विभाग भी संक्रमित हो गया है। एक बार पॉजिटिव आने के बाद मरीज़ मानसिक तौर पर वैसे ही परेशान हो जाता है। माइल्ड और असिम्पटोमेटिक मरीज़ो को होम आइसोलेशन की सलाह  दे दी जाती है। लेकिन सिर्फ सलाह दी जाती है उसके बाद न तो कोई मेडिकल टीम घर पहुँचती है। न ही कोई दवाई दी जाती है।  दवाई न दे कोई बात नहीं कम से कम यह भी कोई नहीं बताता की क्या दवाई लेनी है? मरीज़ इंतज़ार करता रहता है की कब मेडिकल टीम आएगी? 

होम आइसोलेशन के लिए दिए गए निर्देशों की पालना मरीज़ कर रहा है या नहीं ? इसको जांचने के लिए भी फ़िलहाल कोई सरकारी व्यवस्था नहीं है। यह तो हुई माइल्ड और एसिम्पटोमेटिक मरीज़ की लाचारी। जबकि गंभीर और सिम्पटोमेटिक मरीज़ को कोविड अस्पताल में भर्ती किया जाता है। जहाँ की सरकारी व्यवस्था जगज़ाहिर है। इसकी मीडिया में कई रिपोर्ट भी छप चुकी है। प्राइवेट अस्पताल की व्यवस्था भी कोई ख़ास अच्छी नहीं है। जेब में पैसा हो तो प्राइवेट अस्पताल की सेवा ली जा सकती है लेकिन अगर जेब खाली हो तो फिर भगवान ही मालिक है। 

आइये आपको बताते है दो अलग अलग कहानियां खुद पीड़ितों की ज़ुबानी 

पहली कहानी है सेक्टर 11 निवासी व्यक्ति जिन्हे 21 सितम्बर को एसएमएस की ज़रिये सूचित किया गया था की वह कोरोना पॉजिटिव है। यह संक्रमित माइल्ड और असिम्पटोमेटिक श्रेणी के मरीज़ है। जिन्हे होम आइसोलेशन की सलाह दी गई है। लेकिन अभी तक सिर्फ सलाह ही दी गई है। उसके बाद से न कोई मेडिकल टीम पहुंची। न ही कोई दवाई के निर्देश दिए गए है। उन्हें एक फॉर्म भेजा गया व्हाट्सप्प के ज़रिये की इनको भर कर भेजना है. पीड़ित ने फॉर्म भरक भेज भी दिया है। लेकिन अभी तक कोई रिप्लाई नहीं मिला। दिए गए फॉर्म के निर्देश के मुताबिक गर्म पानी, स्टीम इन्हेलर, ऑक्सीमीटर, थर्मामीटर आदि की व्यवस्था करने को कहा जाता है। लेकिन आवश्यक दवाइयों को लेकर कोई निर्देश नहीं। पीड़ित अभी तक मेडिकल टीम का इंतज़ार ही कर रहा है। 

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पहले नेगेटिव बताया फिर बताया पॉजिटिव 
दूसरी कहानी सरदारपुरा निवासी पीड़ित की है जिन्हे 21 तारीख की सुबह एसएमएस के ज़रिये बताया गया की बाह नेगेटिव है। चूँकि रिपोर्ट नेगेटिव थी तो वह लोगो के साथ मिलने जुलने के साथ अपनी गर्भवती पत्नी से भी मिल लिया फिर शाम को उन्हें एक और एसएमएस के ज़रिये बताया जाता है की वह पॉजिटिव है। अंदाज़ा लगाया जा सकता है यह भारी भूल उसकी गर्भवती पत्नी और दूसरो के लिए कितनी भारी पड़ सकती है। यह वयक्ति भी फिलहाल होम आइसोलेशन में है। और इनकी भी पहली कहानी की तरह ही है। न तो अब तक कोई मेडिकल टीम पहुंची न कोई निर्देश। इनके पास तो अभी कोई फॉर्म भी नहीं आया। 

तो यह है सरकारी व्यवस्था का हाल! जबकि जिले में महामारी का प्रकोप फैलता ही जा रहा है। पिछले पांच दिनों से लगातार 100 के ऊपर मरीज़ पाए जा रहे है पांच दिनों में 560 मरीज़ (आज के 103 मिला के), वहीँ पिछले चार-पांच दिनों में मौत का आंकड़ा भी बढ़ता जा रहा है। 

ऐसा नहीं है की सिर्फ सरकार ही लापरवाह है लगता है आमजन को भी कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। लॉकडाउन खोल दिया गया है और शहर में अभी धारा 144 लगी हुई है, जिसका कोई असर नज़र नहीं आ रहा। लोगो की भीड़ सर्वत्र नज़र आती है। चाहे वह सरकारी विभाग हो या सार्वजनिक स्थल हो। आप शाम को फतेहसागर जाये या सुखाड़िया सर्कल जाये लोगो का हुजूम नज़र आता है। जिनमे से आधे लोगो के तो चेहरे पर मास्क तक नज़र नहीं आता। 

इस बाबत जिला कलेक्टर को 22 सितम्बर को लिखा गया था एक पोस्ट

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