geetanjali-udaipurtimes

महंगे टैक्स से तंग टूरिस्ट बस ऑपरेटर्स अब नॉर्थ ईस्ट और अन्य राज्यों में करा रहे हैं रजिस्ट्रेशन

राज्य को हो रहा राजस्व नुकसान

 | 

उदयपुर 18 अक्टूबर 2025। झीलों की नगरी समेत समूचे राजस्थान में अधिकांश ऑल इंडिया परमिट वाली निजी टूरिस्ट बसों पर रजिस्ट्रेशन नंबर AR यानि अरुणाचल प्रदेश या NL यानि नागालैंड या TR यानि त्रिपुरा जैसे नार्थ ईस्ट इंडिया के राज्यों या निकटवर्ती MP मध्यप्रदेश के रजिस्ट्रेशन नजर आएंगे। यह नार्थ ईस्ट राज्यों या पड़ौसी राज्यों के प्रति बस ऑपरेटर्स का लगाव नहीं बल्कि यह व्यापार में लाभ-हानि के गणित का सिद्धांत है। 

दरअसल, राजस्थान में जहां टूरिस्ट बसों की परमिट के टैक्स के लिए प्रति माह करीब 37 हजार रुपए देने पड़ते हैं, वहीं अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड सहित नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों में पूरे साल के ही महज लगभग 14 हजार रुपए ही देने पड़ते हैं। वहीँ आल इंडिया परमिट के करीब 3 लाख सभी को देने पड़ते है। यही नहीं पड़ौसी राज्य मध्यप्रदेश में भी बस परमिट टैक्स के लिए 10 हजार रुपए प्रतिमाह + आल इंडिया परमिट के करीब 3 लाख  ही चार्ज करता है। जबकि बिहार-छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में करीब 7 हजार रुपए प्रतिमाह + आल इंडिया परमिट के करीब 3 लाख शुल्क लगता है। ऐसे में राजस्थान में टूरिस्ट बस ऑपरेटरो को खासी रकम अदा करनी पड़ती है। 

अब समझते है गणित 

मान लीजिये राजस्थान में यदि टूरिस्ट बस का टैक्स क़रीब 37 हज़ार प्रति माह यानि साल के 4,50,000 रूपये एवं आल इंडिया परमिट के 3 लाख यानि एक टूरिस्ट बस को करीब 7,50,000 रूपये व्यय करने होंगे। इसी प्रकार नार्थ ईस्ट के अरुणाचल प्रदेश से रजिस्ट्रेशन करवाने पर साल के करीब 14 हज़ार एवं आल इण्डिया परमिट के 3 लाख यानि तौर पर 3 से सवा 3 लाख व्यय करने होंगे। वही अगर पड़ौसी राज्य मध्यप्रदेश से रजिस्ट्रेशन करवाने पर आल इंडिया परमिट के 3 लाख और प्रति माह करीब 10 हज़ार के हिसाब से लगभग सवा चार लाख रूपये खर्च करने पड़ेंगे। ऐसे में राजस्थान से रजिस्ट्रेशन करवाने पर नार्थ ईस्ट के राज्यों, पड़ौसी राज्य मध्यप्रदेश या बिहार झारखण्ड जैसे राज्यों के मुकाबले बहुत अधिक रूपये खर्च करने पड़ते है।  

tax campare

राजस्थान परिवहन विभाग की यह नीति न सिर्फ "एक देश-एक टैक्स" के खिलाफ है बल्कि राजस्थान टूरिस्ट बस ऑपरेटर्स को नुक्सान देने वाली नीति है। इस निति बस ऑपरेटर्स को ही नुक्सान नहीं बल्कि राजस्थान परिवहन निगम को भी राजस्व का खासा नुक्सान है। 

उदयपुर टूरिस्ट बस सर्विस सोसायटी के अध्यक्ष मदन मेनारिया ने Udaipur Times को बताया कि व्यापारी कोई भी हो, वह हमेशा उसी डगर पर चलेगा, जहां से उसे दो पैसे का फायदा होता नजर आएगा। हम चाहते हैं कि राजस्थान का रेवेन्यू बरकरार रहे, इसके लिए हम कहते हैं कि देश के अन्य राज्यों से तुलनात्मक रूप से प्रतिस्पर्धी शुल्क निर्धारित किया जाए। अब तो इस बात के लिए हमें नाराजगी भी महसूस होने लगी है। अरुणाचल पासिंग वाहन यहां चुभने भी लगे हैं, जबकि MV Act में स्पष्ट है कि देश के किसी भी राज्य का परमिट सभी जगह मान्य होगा।

पीएम की घोषणा भी मुफीद नहीं 

पीएम ने एक घोषणा कर रखी है कि 3 लाख सालाना दो और पूरे देश में घूमो, लेकिन होम स्टेट के निर्धारित टैक्स देने की शर्त के चलते यह योजना भी बस ऑपरेटर्स मुफीद नहीं मानते। यहां तक आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और तेलंगाना जैसे राज्यों में तो केन्द्र की यह स्कीम लागू ही नहीं है।

उल्लेखनीय है कि परिवहन नियमों के मुताबिक वाहन का रजिस्ट्रेशन देश में कहीं से भी कराया जा सकता है। ऐसे में बस ऑपरेटर कम टैक्स वाले राज्यों से अपनी गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन करवाते है। हालाँकि इसके लिए बस ऑपेरटर्स को जिस राज्य में अपने वाहन का रजिस्ट्रेशन करवाना होता है उस राज्य में उन्हें अपना एक कार्यालय शो करना होता है, इसके लिए वह उस राज्य में एक छोटा ऑफिस खोलकर किराये पर ले लेते हैं। यह किराया चिट्ठी ही उनके लिए रामबाण साबित होती है। 

उदयपुर टूरिस्ट बस सर्विस सोसायटी के अध्यक्ष मदन मेनारिया के मुताबिक उदयपुर में अनुमानतः 250 के लगभग टूरिस्ट बसें है जिनमे से कम से कम 50 के आसपास टूरिस्ट बसों का रजिस्ट्रेशन नार्थ ईस्ट या निकटवर्ती मध्यप्रदेश जैसे राज्यों का है। मदन मेनारिया ने बताया की इस समस्या के निदान के लिए राज्य के मुख्यमंत्री, परिवहन मंत्री और पर्यटन मंत्री तक गुहार लगाई लेकिन नतीजा नहीं निकला। 

स्थानीय बस ऑपरेटर उगम सिंह वाघेला ने बताया की राजस्थान सरकार को इस तरफ अवश्य ध्यान देना चाहिए ताकि राजस्थान की बसों का रजिस्ट्रेशन राजस्थान में ही हो जिससे बस ऑपरेटर्स की समस्या का समाधान हो और राज्य के राजस्व में भी वृद्धि हो। राजस्थान राज्य में रजिस्ट्रेशन शुल्क अधिक होने से टूरिस्ट बस ऑपरेटर्स टैक्स का पैसा चुकाए या वाहन की EMI भरे ? इसलिए निकटवर्ती मध्यप्रदेश से अधिक रजिस्ट्रेशन हो रहा है।

निर्मल भंडारी बताते है कि इस सभी राज्यों के अलग अलग टैक्स व्यवस्था की One Nation One Tax की नीति अपनाई जाए तो समस्या का हल निकल आएगा। इससे भ्र्ष्टाचार पर भी लगाम लगेगी और वाहन ऑपरेटर्स को अपने वाहन रजिस्ट्रेशन के लिए अन्य राज्यों की तरफ रुख नहीं करना पड़ेगा।